Bihar Politics: भ्रष्टाचार का भंडाफोड़, जदयू नेता ने खोली अफसरशाही की पोल, नीतीश के सामने भाजपा विधायक की किरकिरी

Bihar Politics: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सुशासन के दावों की पोल एक बार फिर खुल गई है। इस बार सनसनीखेज खुलासा किसी और ने नहीं, बल्कि सत्तारूढ़ जनता दल (यू) के ही प्रखंड अध्यक्ष ने किया है।

Corruption busted
भ्रष्टाचार का भंडाफोड़- फोटो : reporter

Bihar Politics: बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा के चुनाव होने वाले है। चुनाव को लेकर अभी से ही सभी पार्टी के प्रमुख नेता, मंत्री , विधायक अभी से तैयारी में लग चुके है। नेताओं के द्वारा जनता जनता के रिझाने के वे सभी प्रयास किए जा रहे  जिससे जनता खुश होकर उन्हे वोट दे दे । इस चुनावी साल विकास की रफ्तार इतनी तेज होने के प्रयास कर रही  है जैसे कि वो दुरंतो एक्सप्रेस को पीछे छोड़ दे । मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सुशासन के दावों की पोल एक बार फिर खुल गई है। इस बार सनसनीखेज खुलासा किसी और ने नहीं, बल्कि सत्तारूढ़ जनता दल (यू) के ही प्रखंड अध्यक्ष बेचन महतो ने किया है। मुजफ्फरपुर जिले के औराई विधानसभा में एक सार्वजनिक मंच पर, पूर्व मंत्री और बीजेपी विधायक रामसुरत राय की मौजूदगी में, बेचन महतो ने प्रखंड में व्याप्त भ्रष्टाचार और अफसरशाही की मनमानी की परत-दर-परत खुलासा कर सियासी हलकों में हड़कंप मचा दिया है। 

बेचन महतो ने बिना किसी लाग-लपेट के प्रखंड कार्यालय की बदहाल स्थिति को उजागर किया। उन्होंने कहा, "प्रखंड में ऐसी स्थिति हो गई है कि कोई भला आदमी वहां जाने से कतराता है। ब्लॉक में दलालों का जमघट लगा रहता है, और अफसरों की मनमानी चरम पर है।" महतो ने आगे खुलासा किया कि कमजोर और गरीब वर्ग की सुनवाई करने वाला कोई पदाधिकारी नहीं बचा है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रखंड में भ्रष्टाचार का ऐसा जाल बिछा है कि बिना रिश्वत दिए कोई काम नहीं होता। महतो के इस बेबाक बयान ने न केवल नीतीश कुमार के सुशासन के दावों पर सवाल उठाए, बल्कि बीजेपी विधायक रामसुरत राय की कार्यशैली पर भी उंगली उठा दी। यह घटना उस समय हुई, जब एनडीए गठबंधन प्रदेश से लेकर पंचायत स्तर तक एकजुटता का प्रदर्शन करने में जुटा हुआ है। 

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हर मंच से बिहार में सुशासन की दुहाई देते नहीं थकते। वे दावा करते हैं कि उनकी सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर चलती है और दोषी अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाती है। लेकिन उनके ही पार्टी के प्रखंड अध्यक्ष का यह बयान सरकार के इन दावों की हकीकत बयां करता है। बेचन महतो ने साफ कहा कि प्रखंड में अफसरों का मनोबल इतना बढ़ गया है कि वे जनता की परवाह ही नहीं करते। यह पहला मौका नहीं है जब बिहार में अफसरशाही और भ्रष्टाचार को लेकर सवाल उठे हैं। विपक्ष लंबे समय से नीतीश सरकार पर निशाना साधता रहा है, लेकिन सरकार हर बार यह कहकर पल्ला झाड़ लेती है कि दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई हो रही है। मगर औराई की इस घटना ने सत्तारूढ़ गठबंधन के भीतर की दरार को भी उजागर कर दिया है। 

Nsmch

बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए गठबंधन अपनी एकता को मजबूत करने की कोशिश में जुटा है। बीजेपी और जदयू के नेता पंचायत से लेकर प्रदेश स्तर तक गठबंधन की मजबूती का दावा कर रहे हैं। लेकिन औराई की इस घटना ने दोनों दलों के बीच तनाव की अटकलों को हवा दे दी है। जदयू के प्रखंड अध्यक्ष द्वारा बीजेपी विधायक के सामने भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाना न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि पूरे सूबे में चर्चा का विषय बन गया है। सूत्रों के मुताबिक, बेचन महतो का यह बयान जदयू के आंतरिक असंतोष का भी परिचायक हो सकता है। कुछ लोग इसे विधायक रामसुरत राय के खिलाफ स्थानीय नेताओं की नाराजगी के रूप में भी देख रहे हैं। वहीं, विपक्ष को इस घटना ने सरकार पर हमला बोलने का एक और मौका दे दिया है। 

विपक्षी दल, खासकर राष्ट्रीय जनता दल  और कांग्रेस, इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाने की तैयारी में हैं। तेजस्वी यादव पहले ही नीतीश सरकार पर भ्रष्टाचार और कुशासन के आरोप लगाते रहे हैं। अब जदयू के ही नेता के इस खुलासे ने उनके हमलों को और धार दे दी है। विपक्ष का कहना है कि अगर सत्तारूढ़ दल के नेता ही भ्रष्टाचार की बात उठा रहे हैं, तो यह साफ है कि नीतीश का सुशासन सिर्फ कागजों तक सीमित है। हैरानी की बात यह है कि इस घटना के बाद न तो सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान आया है और न ही बीजेपी विधायक रामसुरत राय ने इस पर कोई प्रतिक्रिया दी है। जदयू के शीर्ष नेतृत्व ने भी इस मामले पर चुप्पी साध रखी है, जिससे सियासी गलियारों में तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। 

यह घटना न केवल औराई विधानसभा बल्कि पूरे बिहार की सियासत में एक बड़ा मुद्दा बन सकती है। सवाल यह है कि क्या नीतीश कुमार इस मामले में कोई सख्त कदम उठाएंगे? क्या प्रखंड में व्याप्त भ्रष्टाचार की जांच होगी, या फिर यह मामला भी अन्य आरोपों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा? बेचन महतो के इस साहसिक खुलासे ने एक बार फिर बिहार में सुशासन के दावों और जमीनी हकीकत के बीच के फासले को उजागर कर दिया है। अब देखना यह है कि एनडीए गठबंधन इस आंतरिक संकट को कैसे संभालता है और विपक्ष इस मौके को कितना भुना पाता है। 

रिपोर्ट- रितिक कुमार