Bihar News: CBSE की किताबों में 30 फीसदी की भारी उछाल! दाम देखकर अभिभावकों के उड़ें होश, जानें नई कीमत
मुजफ्फरपुर में CBSE की किताबों की कीमतें 30% तक बढ़ गई हैं, जिससे अभिभावकों की मुश्किलें बढ़ रही हैं। निजी स्कूलों में पढ़ाई का खर्च और महंगा हो गया है।

Bihar CBSE books Rate: मुजफ्फरपुर में नए शैक्षणिक सत्र के लिए CBSE की किताबों की कीमतों में 30% तक की बढ़ोतरी हुई है, जिससे अभिभावकों को भारी आर्थिक बोझ उठाना पड़ रहा है। निजी स्कूलों में पहले से ही महंगी फीस और अन्य खर्चों के बीच महंगी किताबें एक नई चुनौती बनकर सामने आई हैं।
CBSE की किताबें महंगी, माता-पिता परेशान
पिछले साल कक्षा 1 की किताबों का सेट 2200 रुपये में मिलता था, लेकिन इस साल इसकी कीमत 2700 रुपये हो गई है।पांचवीं कक्षा की किताबों का दाम 5500-6000 रुपये से बढ़कर 7200 रुपये तक पहुंच गया है।छठी, सातवीं और आठवीं कक्षा की किताबों के दामों में भी भारी बढ़ोतरी देखी गई है।महंगी किताबों के चलते माता-पिता को दो बच्चों की पढ़ाई में ही 15,000 रुपये से ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है।
माता-पिता के बजट पर असर
मुजफ्फरपुर के व्यवसायी रोहित कुमार ने बताया कि उनके दो बच्चे तीसरी और छठी कक्षा में पढ़ते हैं और उनकी किताबों पर ही 15,000 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं।गृहिणी शोभा कुमारी का कहना है कि बच्चों की पढ़ाई का खर्च अब परिवार के मासिक बजट को बिगाड़ रहा है।
NCERT की किताबें सस्ती, CBSE की महंगी
किताब विक्रेता अविनाश कुमार के मुताबिक, CBSE की किताबों की कीमतें 30% तक बढ़ चुकी हैं, जबकि NCERT की किताबों की कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ।इसके बावजूद निजी स्कूल CBSE की किताबों को ही अनिवार्य रूप से इस्तेमाल करवा रहे हैं, जिससे माता-पिता को मजबूरी में अधिक पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं।NCERT की किताबें सरकारी स्कूलों और कुछ अन्य संस्थानों में इस्तेमाल की जाती हैं, जबकि निजी स्कूल महंगे प्रकाशकों की किताबें खरीदने के लिए बाध्य कर रहे हैं।
क्या प्रकाशकों की मनमानी चल रही है?
माता-पिता का आरोप है कि निजी स्कूल चुनिंदा प्रकाशकों की किताबें खरीदने पर जोर डाल रहे हैं, जिनकी कीमतें काफी अधिक होती हैं।कई बार स्कूल पुरानी किताबों को दोबारा इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं देते, जिससे हर साल नए सिलेबस के नाम पर नई किताबें खरीदनी पड़ती हैं।
अभिभावकों की मांग – सरकार करे हस्तक्षेप
माता-पिता चाहते हैं कि सरकार इस मामले में हस्तक्षेप करे और किताबों की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए नियम बनाए।यदि मनमानी कीमतों पर रोक नहीं लगी, तो आने वाले वर्षों में शिक्षा का खर्च और बढ़ सकता है, जिससे आम परिवारों पर इसका गहरा असर पड़ेगा।
क्या सरकार इस पर कार्रवाई करेगी?
शिक्षा विभाग और प्रशासन से अभिभावकों की मांग है कि निजी स्कूलों द्वारा महंगे प्रकाशकों की किताबों को अनिवार्य किए जाने की नीति की समीक्षा की जाए।यदि सरकार NCERT की किताबों को प्राथमिकता देने के लिए सख्त कदम उठाए, तो माता-पिता को राहत मिल सकती है।
माता-पिता को भारी आर्थिक बोझ
मुजफ्फरपुर में CBSE किताबों की कीमतों में अचानक 30% बढ़ोतरी से माता-पिता को भारी आर्थिक बोझ उठाना पड़ रहा है। निजी स्कूलों द्वारा महंगे प्रकाशकों की किताबों को अनिवार्य करने के कारण अभिभावकों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। माता-पिता अब सरकार से हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं, ताकि स्कूलों और प्रकाशकों की मनमानी पर रोक लगाई जा सके।