243 सीटें और दावेदार चार, बिहार NDA में सीट बंटवारे पर संग्राम, मांझी-चिराग ने बढ़ाई सियासी तकरार, कुशवाहा भी ताक में

Bihar NDA Seat distribution:सत्ता के गलियारों में सबसे ज़्यादा गहमागहमी एनडीए के भीतर सीट शेयरिंग को लेकर है।

Bihar NDA Seat distribution
बिहार NDA में सीट बंटवारे पर संग्राम- फोटो : social Media

Bihar NDA Seat distribution:बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियां तेज़ हो चुकी हैं और सत्ता के गलियारों में सबसे ज़्यादा गहमागहमी एनडीए के भीतर सीट शेयरिंग को लेकर है। हालत यह है कि घटक दलों की दावेदारी ऐसी है मानो 243 नहीं बल्कि 343 सीटें हों। बीजेपी और जेडीयू की मजबूती के बीच छोटे सहयोगी अपने-अपने हिस्से को बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।

सबसे पहले हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने अपनी ज़ुबान खोल दी। मांझी ने एनडीए से 20 सीटों की मांग रखी और साफ़ कहा कि अगर उनकी डिमांड नहीं मानी गई तो उनकी पार्टी 100 सीटों पर चुनाव लड़ने का माद्दा रखती है। 2020 के विधानसभा चुनाव में हम पार्टी महज़ 7 सीटों पर लड़ी थी और 4 सीट जीतकर 3.75 लाख वोट बटोरे थे। इसके बावजूद इस बार मांझी का दावा कहीं ज़्यादा बुलंद है।

उधर, एलजेपी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान भी किसी से कम नहीं। उनके कार्यकर्ता तो पटना की सड़कों पर पोस्टर तक लगा चुके हैं जिसमें चिराग को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बताने की मांग उठाई गई। पार्टी ने 40 सीटों की डिमांड रख दी है। 2020 में चिराग ने एनडीए से अलग होकर 135 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे और सिर्फ़ एक सीट पर कामयाबी मिली। बावजूद इसके, चिराग की सियासी महत्वाकांक्षा अब भी कम नहीं हुई है। एलजेपीआर का दावा है कि वह 243 की 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की ताकत रखती है।

तीसरे सहयोगी उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक जनशक्ति मोर्चा (आरएलएम) का हाल सबसे कमजोर है। विधानसभा और लोकसभा में उनका एक भी सदस्य नहीं है, फिर भी वह सम्मानजनक सीटों की चाह रखते हैं। 2020 में उन्होंने बसपा और एआईएमआईएम के साथ गठबंधन कर 104 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे लेकिन एक भी जीत हाथ नहीं लगी। बावजूद इसके कोइरी समाज में उनकी पकड़ को नज़रअंदाज़ करना आसान नहीं।

इन दावों के बीच असली लड़ाई बीजेपी और जेडीयू के बीच है। 2020 में बीजेपी ने 110 सीटों पर लड़कर 74 जीतीं और 19.46% वोट पाए, जबकि जेडीयू ने 115 सीटों पर चुनाव लड़ा और महज़ 43 पर जीत मिली। जेडीयू का वोट प्रतिशत 15.39% रहा और वह विधानसभा में तीसरे नंबर पर खिसक गई। यही वजह है कि 2025 में सीटों का संतुलन बेहद संवेदनशील है। सूत्र बताते हैं कि इस बार बीजेपी और जेडीयू बराबर-बराबर यानी 100-100 सीटों पर ताल ठोक सकते हैं।

यानी बड़े घटक दलों की हिस्सेदारी के बाद छोटे दलों को सीमित सीटें ही मिल पाएंगी। अटकलें हैं कि चिराग को 20-25, मांझी और कुशवाहा को 10-10 सीटें दी जा सकती हैं। सवाल यह है कि क्या इतनी ‘कम’ पेशकश पर ये नेता चुप बैठेंगे या फिर एनडीए के भीतर से ही बग़ावत की नई चिंगारी भड़केगी।

बिहार की सियासत में कहा जाता है “कुर्सी का ख्वाब सबसे बड़ा नशा है।” और इस वक़्त एनडीए के सहयोगियों के बीच यही नशा सिर चढ़कर बोल रहा है।