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19 साल में शादी, पति ने नहीं दिया साथ, समाज ने रोका... बिहार की पहली महिला IPS बनकर मंजरी जरूहर ने रचा इतिहास

बिहार की पहली महिला आईपीएस अधिकारी मंजरी जरूहर ने शादी के बाद भी यूपीएससी पास किया। सामाजिक बंधनों को तोड़कर वे 1975 में आईपीएस बनीं। इंटरव्यू में उनसे पूछा गया कि मेयोनीज कैसे बनाते हैं।

Manjari Jaruhar

भारत में यूपीएससी परीक्षा पास करना किसी भी युवा के लिए एक सपने जैसा होता है, लेकिन जब समाज की बंदिशें और परिवार का विरोध हो तो यह सफर और भी मुश्किल हो जाता है। ऐसी ही एक प्रेरक कहानी है मंजरी जरूहर की, जिन्होंने न सिर्फ सामाजिक बंधनों को तोड़ा बल्कि बिहार की पहली और भारत की पांचवीं महिला आईपीएस अधिकारी बनकर इतिहास रच दिया।


मंजरी जरूहर का जन्म एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था, जहां पहले से ही कई अधिकारी थे। लेकिन उनकी जिंदगी तब बदल गई जब महज 19 साल की उम्र में उनकी शादी एक आईएफएस अधिकारी से हो गई। उन्हें लगा कि उनके पति उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेंगे, लेकिन सच्चाई इसके उलट निकली। ससुराल में शिक्षा को ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता था और मंजरी के सपने धीरे-धीरे दम तोड़ने लगे।


एक समय ऐसा भी आया जब वह खुद को सिर्फ एक गृहिणी के तौर पर देखने लगीं, लेकिन उनके अंदर का जुनून अभी खत्म नहीं हुआ था। मंजरी ने अपने हालात बदलने का फैसला किया और अपने सपनों को पूरा करने के लिए ससुराल से अलग होने का साहसिक कदम उठाया।


मंजरी जरुहर ने पटना वीमेंस कॉलेज से इंग्लिश ऑनर्स और फिर दिल्ली यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। साल 1974 में उन्होंने पहली बार परीक्षा दी, जिसमें उन्होंने प्रीलिम्स और मेन्स पास कर लिया, लेकिन इंटरव्यू में सफल नहीं हो सकीं। लेकिन मंजरी ने हार नहीं मानी। उन्होंने अगले साल फिर से प्रयास किया और 1975 में यूपीएससी परीक्षा पास कर आईपीएस अधिकारी बनने का सपना पूरा किया।


जब मंजरी यूपीएससी इंटरव्यू में पहुंचीं, तो उनसे ऐसा सवाल पूछा गया, जिसने सभी को चौंका दिया। उन्होंने अपने फॉर्म में हॉबी के तौर पर "कुकिंग" लिखा था। इसी के आधार पर बोर्ड के सदस्यों ने उनसे मेयोनीज सॉस बनाने की विधि पूछी। लेकिन मंजरी ने बिना किसी झिझक के मेयोनीज बनाने की विधि स्टेप बाय स्टेप बता दी। उस समय यह चटनी बाजार में इतनी आसानी से उपलब्ध नहीं थी, लेकिन मंजरी के ज्ञान और आत्मविश्वास को देखकर इंटरव्यू बोर्ड इतना प्रभावित हुआ कि उससे आगे कोई सवाल ही नहीं पूछा गया।


आईपीएस बनने के बाद मंजरी जरुहर ने कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया और देश की सेवा में बेहतरीन योगदान दिया। उन्होंने अपना आईपीएस करियर पूरी लगन और ईमानदारी से निभाया, जिससे उन्हें पूरे देश में पहचान मिली। सेवानिवृत्ति के बाद मंजरी जरुहर ने अपनी संघर्ष भरी यात्रा को किताब के रूप में पेश किया। "मैडम सर" नामक इस किताब में उन्होंने बचपन से लेकर आईपीएस अधिकारी बनने तक की पूरी कहानी साझा की है।


मंजरी जरुहर की कहानी उन लाखों महिलाओं के लिए मिसाल है, जो समाज और परिवार की बेड़ियों के कारण अपने सपनों से समझौता करने को मजबूर हैं। उन्होंने साबित कर दिया कि अगर इरादे मजबूत हों तो कोई भी मुश्किल रास्ता उन्हें रोक नहीं सकता। उनके संघर्ष की कहानी हर उस लड़की को प्रेरित करती है जो अपने सपनों के लिए लड़ना चाहती है, समाज की रूढ़ियों को तोड़ना चाहती है और अपनी पहचान बनाना चाहती है

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