Bihar Politics: मंत्री पद छोड़ा, अब अगला पड़ाव क्या? नितिन नवीन के राज्यसभा जाने की भाजपा ने तैयार की सियासी पटकथा!
Bihar Politics: बीजेपी के भीतर सियासत की चाल तेज़ हो चुकी है और नितिन नवीन अब सिर्फ़ बिहार के नहीं, बल्कि राष्ट्रीय फलक के नेता बन चुके हैं। नितिन नबीन का सियासी सफ़र अब विधानसभा की चौहद्दी से निकलकर संसद की ऊंची दहलीज़ की ओर बढ़ चुका है।....
Bihar Politics: बीजेपी के भीतर सियासत की चाल तेज़ हो चुकी है और नितिन नवीन अब सिर्फ़ बिहार के नहीं, बल्कि राष्ट्रीय फलक के नेता बन चुके हैं। राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष का पद संभालते ही मंगलवार, 16 दिसंबर 2025 को उन्होंने नीतीश सरकार में मंत्री पद से इस्तीफ़ा देकर यह साफ़ संकेत दे दिया कि अब उनकी राजनीति का केंद्र पटना नहीं, बल्कि दिल्ली होगा। मगर बड़ा सवाल यही है क्या विधायक रहते हुए वे राष्ट्रीय अध्यक्ष की ज़िम्मेदारी निभाएंगे या जल्द ही विधानसभा से भी विदाई तय है?
राजनीतिक हलकों में यह मानकर चला जा रहा है कि राष्ट्रीय स्तर की भूमिका निभाने के लिए नितिन नवीन को ज़्यादातर वक़्त दिल्ली में रहना होगा। ऐसे में अपने विधानसभा क्षेत्र के लिए ज़मीनी काम करना मुश्किल होगा। यही वजह है कि सियासी जानकार मानते हैं कि आने वाले समय में वे विधायक पद से भी इस्तीफ़ा दे सकते हैं। यह क़दम बीजेपी की उस परंपरा के मुताबिक़ होगा, जिसमें संगठन और सरकार की भूमिकाओं को अलग रखा जाता है।
राजनीतिक विश्लेषक के मुताबिक़, नितिन नबीन के लिए राज्यसभा का रास्ता लगभग साफ़ है। लोकसभा चुनाव फिलहाल दूर हैं, लेकिन बिहार से राज्यसभा की पांच सीटें 9 अप्रैल 2026 को खाली हो रही हैं। इनमें दो सीटें आरजेडी, दो जेडीयू और एक सीट उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएम के खाते में मानी जाती हैं। राज्यसभा चुनाव में विधानसभा के संख्याबल का गणित चलता है एक सीट के लिए कम से कम 48 विधायकों की ज़रूरत होती है।
फिलहाल बिहार विधानसभा में एनडीए के पास 202 विधायक हैं। इस हिसाब से चार सीटों पर निर्विरोध चुनाव की स्थिति बनती है, जबकि एक सीट महागठबंधन के खाते में जा सकती है। अगर एनडीए रणनीतिक हस्तक्षेप करता है, तो एक सीट पर मुकाबला भी संभव है। जानकारों का कहना है कि यदि उपेंद्र कुशवाहा या लोजपा (रामविलास) का कोई नेता राज्यसभा जाता है, तो वह जेडीयू या बीजेपी के कोटे से ही जाएगा। इस सियासी बंदोबस्त में नितिन नवीन के लिए कोई बड़ी रुकावट नज़र नहीं आती।
सबसे अहम बात यह है कि राज्यसभा के लिए नितिन नवीन को बिहार तक सीमित रहने की जरूरत नहीं। वे अब केंद्र के नेता हैं और संवैधानिक प्रावधानों के तहत देश के किसी भी राज्य से राज्यसभा भेजे जा सकते हैं। कब भेजे जाएंगे यह फ़ैसला पार्टी नेतृत्व करेगा। मगर इतना तय है कि नितिन नबीन का सियासी सफ़र अब विधानसभा की चौहद्दी से निकलकर संसद की ऊंची दहलीज़ की ओर बढ़ चुका है।