Bihar Civil Defence: भारत-पाकिस्तान तनाव को देखते हुए बिहार सरकार ने लिया बड़ा फैसला! करने वाले है ये काम जिससे आम लोग को भी युद्ध में मिल सकता है शामिल होने का मौका
Bihar Civil Defence: भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच बिहार में ब्लैकआउट मॉक ड्रिल, सायरन अलर्ट और आपदा प्रबंधन की समीक्षा की गई। जानिए क्या हैं राज्य सरकार की तैयारियाँ।

Bihar Civil Defence: भारत-पाकिस्तान के बीच लगातार बढ़ रहे भू-राजनीतिक तनाव को देखते हुए बिहार सरकार पूरी तरह सतर्क हो गई है। विकास आयुक्त सह आपदा प्रबंधन विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत की अगुवाई में राज्य स्तरीय समीक्षा बैठक की गई, जिसमें आपात स्थिति से निपटने के लिए हर पहलू पर रणनीति बनाई गई।
बड़ी बात यह रही कि राज्यभर में ब्लैकआउट मॉक ड्रिल की तैयारी चल रही है और सिविल डिफेंस की भूमिका को विस्तार दिया जा रहा है। यह पहली बार नहीं है, बल्कि 7 मई को पटना सहित छह जिलों में यह मॉक ड्रिल आयोजित की जा चुकी है।
ब्लैकआउट मॉक ड्रिल: क्यों है यह ज़रूरी?
7 मई की शाम जब पटना, पूर्णिया, कटिहार, अररिया, किशनगंज और बेगूसराय जैसे जिलों में अचानक बिजली चली गई और 80 सायरनों की आवाज़ गूंजने लगी, तो कई लोगों को यह वास्तविक हमला लगा। लेकिन यह सब एक मॉक ड्रिल का हिस्सा था।इसका उद्देश्य था आम लोगों को आपात स्थिति के संकेतों से अवगत कराना।सरकारी और अर्धसरकारी एजेंसियों की तत्परता की जांच।ब्लैकआउट जैसे हालात में लॉ एंड ऑर्डर व्यवस्था की टेस्टिंग
54 वर्षों बाद ऐसा आयोजन
भारत-पाकिस्तान के 1971 के युद्ध के बाद पहली बार ऐसा हुआ जब पटना जैसे शांत माने जाने वाले शहर में सायरन और ब्लैकआउट की अभ्यास प्रणाली लागू की गई। यह संकेत है कि प्रशासन युद्ध-स्तर पर तैयारियाँ कर रहा है।
सिविल डिफेंस: नई संरचना और भूमिका
सिविल डिफेंस आज केवल सरकारी कर्मचारियों तक सीमित नहीं रहा। अब इसमें एनसीसी, एनएसएस, स्काउट-गाइड और ‘आपदा मित्र’ जैसे संगठनों को भी जोड़ा जा रहा है। मौजूदा 2000 स्वयंसेवकों की संख्या को और बढ़ाया जा रहा है।
कौन बन सकता है स्वयंसेवक?
मौजूदा तनाव को देखते हुए सरकार लोगों को देश हित में शामिल होने का मौका दे रही है। इस कड़ी में लोगों को स्वयंसेवक बनने का मौका दिया जाएगा. इसके लिए निम्निलिख शर्त दी गई है, जो इस प्रकार है।
कोई भी 18 वर्ष से अधिक आयु का नागरिक
राज्य आपदा प्रबंधन विभाग की ट्रेनिंग प्रक्रिया से गुजरे
आपात स्थिति में सेवा देने की इच्छाशक्ति हो
इससे राज्य की मानव संसाधन क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी और संकट की घड़ी में प्रशिक्षित हाथ उपलब्ध रहेंगे।
स्वास्थ्य सुविधाओं की विशेष तैयारी
आपदा के दौरान मेडिकल इमरजेंसी को प्राथमिकता दी गई है। बैठक में इन बिंदुओं पर विशेष ध्यान दिया गया बेड रिजर्व रखने का आदेश दिया गया है।ऑक्सीजन सिलिंडर और स्ट्रेचर भरपूर मात्रा में रखने की हिदायत दी गई है। सभी मेडिकल कॉलेज और सिविल अस्पतालों की तत्काल सेवा क्षमता की समीक्षा की गई है।विशेष रूप से एम्स, आईजीआईएमएस और मेडिकल कॉलेजों को आदेश दिए गए हैं कि किसी भी आपात स्थिति के लिए तैयार रहें।