Bihar groundwater: केंद्रीय भूजल आयोग की जल गुणवत्ता रिपोर्ट 2024 के अनुसार, बिहार के 33 जिलों में भूजल में आयरन की मात्रा सामान्य से अधिक पाई गई है। इस रिपोर्ट के अनुसार, बिहार अब देश के सर्वाधिक आयरन प्रभावित छह राज्यों में शामिल हो गया है। इसके साथ ही राज्य के कई जिलों में भूजल में आर्सेनिक और यूरेनियम जैसी खतरनाक धातुएं भी पाई गई हैं, जो राज्य के निवासियों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर चिंता का विषय हैं।
आयरन प्रभावित जिले
पहले केवल 12 जिलों को आयरन प्रभावित माना जाता था, लेकिन 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, अब यह संख्या 33 तक पहुंच गई है। इन जिलों में भूजल में 1 एमजी प्रति लीटर से अधिक आयरन की मात्रा पाई गई है। आयरन की अधिकता से न केवल पेयजल का स्वाद खराब होता है, बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक साबित हो सकता है। आयरन की अधिकता से मधुमेह, पेट की समस्याएं और हृदय रोग होने की संभावना बढ़ जाती है।
अन्य प्रमुख धातुएं और उनके दुष्प्रभाव
रिपोर्ट में कई जिलों में अन्य खतरनाक धातुएं जैसे आर्सेनिक और यूरेनियम भी पाई गई हैं। सीवान जिले के पानी में यूरेनियम की मात्रा 30 पीपीबी से अधिक पाई गई है, जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक है। यूरेनियम से कैंसर, लीवर और किडनी की समस्याएं हो सकती हैं, वहीं आर्सेनिक से श्वसन और हृदय रोगों का खतरा बढ़ जाता है।
फ्लोराइड की अधिकता
कुछ जिलों में फ्लोराइड की भी अधिकता पाई गई है, जिससे डेंटल और स्केलेटल फ्लोरोसिस जैसी समस्याएं हो सकती हैं। फ्लोराइड की अधिक मात्रा से हड्डियों और जोड़ों में दर्द और अन्य क्रोनिक समस्याएं हो सकती हैं।
पेयजल की गुणवत्ता सुधार की आवश्यकता
बिहार के लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (PHED) को इन जिलों में पेयजल की गुणवत्ता सुधारने की चुनौती दी गई है। इसके लिए जल स्रोतों का उपचार और दूषित जल को शुद्ध करने की तकनीक अपनाने की आवश्यकता है।
आयरन, यूरेनियम और आर्सेनिक की अधिकता के कारण
रासायनिक उर्वरकों का अधिक उपयोग
कारखानों और रिफाइनरियों से निकलने वाला दूषित जल
भूगर्भ में खनिज तत्वों की उपस्थिति
बिहार में भूजल की गिरती गुणवत्ता
बिहार में भूजल की गिरती गुणवत्ता स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा बनती जा रही है। सरकार और संबंधित विभागों को इस समस्या का समाधान निकालने के लिए त्वरित और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है।