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Bihar mid day meal scheme: बिहार मिड-डे मिल स्कीम से जुड़े लोगों पर गिरने वाली है गाज! इस वजह से सैकड़ों लोगों की जाने वाली है नौकरी

बिहार में मध्याह्न भोजन योजना से जुड़े आउटसोर्स कर्मचारियों की नौकरी 31 मार्च 2025 के बाद खत्म होगी, शिक्षा विभाग ने बजट की कमी का हवाला दिया है।

Bihar mid day meal scheme: बिहार मिड-डे मिल स्कीम से जुड़े लोगों पर गिरने वाली है गाज! इस वजह से सैकड़ों लोगों की जाने वाली है नौकरी
Bihar mid day meal scheme- फोटो : freepik

Bihar mid day meal scheme: बिहार के मध्याह्न भोजन योजना से जुड़े आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की सेवाएं 31 मार्च 2025 के बाद समाप्त कर दी जाएंगी। शिक्षा विभाग ने बजट की कमी का हवाला देते हुए यह निर्णय लिया है, जिससे राज्य के सैकड़ों कर्मचारियों के सामने बेरोजगारी का संकट खड़ा हो गया है। विशेष रूप से अररिया जिले के 76 कर्मचारी इस फैसले से बेहद चिंतित हैं।

विभाग ने जारी किया सेवा समाप्ति का आदेश

शिक्षा विभाग के मध्याह्न भोजन योजना निदेशक डॉ. सतीश चंद्र झा ने 24 फरवरी 2025 को एक पत्र (ज्ञापांक 491) जारी किया, जिसमें सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों (DEO) और जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों (DPO) को आदेश दिया गया कि आउटसोर्सिंग से बहाल किए गए कर्मचारियों की सेवाएं 31 मार्च 2025 के बाद नहीं ली जाएंगी। इससे पहले, 22 फरवरी को एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भी यह निर्देश जारी किया गया था।

बजट की कमी का हवाला

डॉ. झा ने अपने पत्र में स्पष्ट किया कि बजट की कमी के कारण यह निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि निदेशालय स्तर पर समीक्षा के बाद यह पाया गया कि बजट में पर्याप्त प्रावधान नहीं है, जिसके कारण आउटसोर्सिंग एजेंसियों से रखे गए कर्मचारियों की सेवाओं को 31 मार्च 2025 के बाद जारी रखना संभव नहीं है। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को चेतावनी दी है कि यदि सक्षम प्राधिकारी के आदेश के बिना इन कर्मचारियों की सेवाएं जारी रखी जाती हैं, तो इसकी जिम्मेदारी संबंधित DPO की होगी।

कर्मचारियों को झटका

यह निर्णय कर्मचारियों के लिए एक बड़ा झटका है, खासकर इसलिए क्योंकि पिछले साल अक्टूबर 2024 में ही इनकी सेवा अवधि एक वर्ष के लिए बढ़ाई गई थी। 12 अक्टूबर 2024 को जारी एक पत्र (ज्ञापांक 3115) के अनुसार, तत्कालीन निदेशक योगेन्द्र सिंह ने आउटसोर्स कर्मचारियों की सेवा अवधि को एक साल के लिए बढ़ाने का आदेश दिया था। अब, मात्र चार महीने बाद ही सेवा समाप्ति का आदेश जारी होने से कर्मचारियों में असमंजस और गुस्सा है।

अररिया जिले के कर्मचारियों की चिंता

अररिया जिले में कुल 76 आउटसोर्स कर्मचारी विभिन्न पदों पर कार्यरत हैं, जिनमें डीपीएम, बीपीएम, बीआरपी, डाटा इंट्री ऑपरेटर और अन्य पद शामिल हैं। ये कर्मचारी सरकारी स्कूलों में मध्याह्न भोजन योजना के सफल संचालन और शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। सेवा समाप्ति के आदेश के बाद इन कर्मचारियों के सामने रोजगार का संकट उत्पन्न हो गया है।

कर्मचारियों का आरोप और विरोध

कर्मचारियों ने विभाग के इस फैसले को "तुगलकी फरमान" करार दिया है और इसका कड़ा विरोध किया है। उनका कहना है कि सरकार एक तरफ बेरोजगारों को रोजगार देने का दावा करती है, तो दूसरी तरफ पहले से काम कर रहे कर्मचारियों को बेरोजगार कर रही है। कर्मचारियों ने मांग की है कि इस फैसले को वापस लिया जाए और उनकी सेवाओं को जारी रखा जाए।

उन्होंने 17 अक्टूबर 2024 को जारी उस पत्र का भी हवाला दिया जिसमें तत्कालीन निदेशक ने सेवा विस्तार की घोषणा की थी। उस पत्र में कहा गया था कि आउटसोर्सिंग एजेंसी के साथ किए गए समझौते के तहत कर्मचारियों की सेवा अवधि एक साल के लिए बढ़ाई जाएगी।

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