Bihar schools sanitary pad: बिहार के स्कूलों में लगेगी सैनिटरी पैड वेंडिंग मशीन! लड़कियों के पिरियड से जुड़े मामलों पर जागरूकता फैलने पर सरकार का बड़ा कदम

Bihar schools sanitary pad: बिहार सरकार ने किशोरियों के मासिक धर्म स्वच्छता को लेकर बड़ा कदम उठाया है। सभी स्कूलों में सैनिटरी पैड वेंडिंग मशीनें लगाने की योजना को गति दी जा रही है, जिससे किशोरियों को सम्मानजनक स्वास्थ्य सुविधा मिले।

Bihar schools sanitary pad
माहवारी को लेकर जागरूकता अभियान- फोटो : social media

Bihar schools sanitary pad: बिहार ने मासिक धर्म से जुड़ी सामाजिक चुप्पी और भ्रांतियों को तोड़ते हुए राज्यभर के स्कूलों में सैनिटरी पैड वेंडिंग मशीनें लगाने की घोषणा की है। यह निर्णय विश्व माहवारी स्वच्छता दिवस (28 मई) के मौके पर महिला एवं बाल विकास निगम की तरफ से पटना में आयोजित विशेष कार्यक्रम के दौरान लिया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता समाज कल्याण विभाग की सचिव बंदना प्रेयषी ने की।

महिला एवं बाल विकास निगम की प्रबंध निदेशक बंदना प्रेयषी ने कार्यक्रम के दौरान कहा कि मासिक धर्म कोई बीमारी नहीं, यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। अब महिलाएं तय करेंगी कि वे माहवारी के दौरान क्या करेंगी, समाज नहीं।

 209 स्कूलों और सार्वजनिक स्थानों पर पहले से हैं वेंडिंग मशीनें

बिहार सरकार की इस पहल की शुरुआत पहले ही हो चुकी है। इस दौरान 209 स्कूलों में पहले से वेंडिंग मशीनें लगी हैं। पटना के पार्कों और सरकारी कार्यालयों में महिला शौचालयों में भी मशीनें लगाई गई हैं। 22.58 लाख किशोरियों को प्रति वर्ष 300 की सहायता राशि मुख्यमंत्री किशोरी स्वास्थ्य योजना के तहत दी जा रही है, जिससे वे सैनिटरी नैपकिन खरीद सकें

 माहवारी को लेकर हेल्पलाइन सेवा

माहवारी से जुड़ी समस्याओं का समाधान अब फोन पर मुफ्त विशेषज्ञ सलाह से भी संभव है। इसके लिए टोल फ्री नंबर 181 पर हर बुधवार और गुरुवार, दोपहर 12 से 3 बजे तक कॉल किया जा सकता है। इसकी मदद से स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञों से सीधी बात हो सकती है। इस सेवा का उद्देश्य है कि लड़कियां बिना संकोच माहवारी से जुड़ी समस्याओं पर खुलकर बात कर सकें।

माहवारी शर्म नहीं, जागरूकता का विषय है’-सुधा वर्गीज का संदेश

नारी गुंजन संस्था की संस्थापक और पद्मश्री सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता सुधा वर्गीज ने कार्यक्रम में कहा कि किशोरियों को सही जानकारी और सहयोग मिले, तो वे आत्मविश्वासी बनती हैं। अभिभावकों और शिक्षकों को सहायक की भूमिका निभानी  चाहिए।उन्होंने यह भी जोड़ा कि माहवारी से जुड़े डर को तोड़ने के लिए समाज को सहानुभूति, शिक्षा और संवाद की आवश्यकता है।

'पैडमैन' फिल्म और बालिकाओं की खुली प्रतिक्रियाएं

कार्यक्रम के अंत में माहवारी विषय पर बनी फिल्म ‘पैडमैन’ दिखाई गई। इससे छात्राओं ने विषय को लेकर नया नजरिया और प्रेरणा प्राप्त की।छात्राओं ने कहा पहली बार इस विषय पर खुलकर बात करने की हिम्मत मिली।अब हमें शर्म नहीं, जानकारी चाहिए। यह फिल्म और कार्यक्रम सामाजिक परिवर्तन की एक सशक्त मिसाल बन गई।

यूनिसेफ की भागीदारी

यूनिसेफ के वॉश विशेषज्ञ प्रभाकर सिन्हा ने कहा कि यह केवल सरकारी योजना नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना का हिस्सा है। बदलाव तब आएगा जब हम सभी इस मुद्दे पर खुलकर बोलेंगे।यूनिसेफ की मोना सिन्हा, मंजुषा चंद्रा, और मार्गन सिन्हा जैसे कई विशेषज्ञ और सामाजिक कार्यकर्ता भी इस कार्यक्रम में उपस्थित रहे।