Bihar politics: बिहार में मुस्लिम वोट बैंक पर सियासी हलचल तेज! जदयू नेता गुलाम गौस का बयान, कहा- 'मुस्लिम समाज को अब सोचने ...'

Bihar politics: जदयू के वरिष्ठ नेता प्रो. गुलाम गौस ने मुस्लिम समाज से महागठबंधन की नीति पर सवाल उठाते हुए एनडीए का समर्थन करने की अपील की। जानिए बिहार की राजनीति में इसका क्या प्रभाव पड़ सकता है।

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प्रो. गुलाम गौस का बड़ा बयान- फोटो : social media

Bihar politics: बिहार की राजनीति हमेशा से ही सामाजिक समीकरणों पर आधारित रही है। इसी क्रम में जदयू के वरिष्ठ नेता और विधान परिषद सदस्य प्रो. गुलाम गौस ने हाल ही में एक बयान देकर सियासी हलचल मचा दी। उन्होंने कहा कि महागठबंधन की ओर से उपमुख्यमंत्री की घोषणा के बाद मुस्लिम समाज की आंखें खुल जानी चाहिए।गौस के अनुसार, “सिर्फ चार प्रतिशत आबादी वाली एक बिरादरी को सिर पर बिठाया जा रहा है, जबकि 18 प्रतिशत आबादी वाला मुस्लिम समाज उपेक्षित है।” यह बयान सीधे तौर पर महागठबंधन की राजनीति पर सवाल उठाता है।

एनडीए को समर्थन की अपील और नीतीश कुमार की भूमिका

प्रो. गुलाम गौस ने मुस्लिम समाज से भयमुक्त होकर एनडीए का समर्थन करने की अपील की। उन्होंने कहा कि जब तक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राज्य की कमान संभाल रहे हैं, तब तक किसी को भी मुसलमानों का अहित करने की हिम्मत नहीं हो सकती। नीतीश कुमार की छवि एक समावेशी नेता की रही है। गौस ने यह भी कहा कि नीतीश सरकार में अल्पसंख्यकों सहित हर वर्ग के लिए समान रूप से काम किया गया है — चाहे वह शिक्षा हो, रोजगार हो या सुरक्षा। यह बयान इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह ऐसे समय आया है जब बिहार में एनडीए और महागठबंधन दोनों ही आगामी चुनावों के लिए मुस्लिम मतदाताओं को लुभाने की कोशिश में हैं।

जदयू के संजय सिंह का जनसंपर्क अभियान

वहीं दूसरी ओर, जदयू के प्रदेश उपाध्यक्ष व विधान पार्षद संजय सिंह ने तारापुर विधानसभा क्षेत्र में एनडीए प्रत्याशी सम्राट चौधरी के समर्थन में जनसंपर्क अभियान चलाया। संजय सिंह ने जनता से कहा कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में अपहरण उद्योग बंद हुआ, अपराधी भूमिगत हुए और नक्सलवाद पर नियंत्रण पाया गया।उन्होंने यह भी जोड़ा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सभी वर्गों के लिए विकास कार्य किए हैं, जिनमें अगड़े, पिछड़े, दलित, आदिवासी और अल्पसंख्यक सभी शामिल हैं।

बिहार की राजनीति में मुस्लिम समाज की भूमिका

बिहार में मुस्लिम आबादी लगभग 18% है, जो चुनावी नतीजों को निर्णायक रूप से प्रभावित कर सकती है। यही कारण है कि हर राजनीतिक दल इस समुदाय को साधने की कोशिश करता है।गुलाम गौस का बयान इस बात का संकेत देता है कि जदयू मुस्लिम समाज को यह विश्वास दिलाने की कोशिश कर रही है कि एनडीए में उनका हित सुरक्षित है। अगर मुस्लिम मतदाता एक बार फिर से अपना रुख बदलते हैं, तो बिहार की सियासत का गणित पूरी तरह बदल सकता है।