Bihar SIR: बिहार की राजनीति में मतदाता सूची विवाद गहराया! वोट चोरी या घुसपैठियों की पहचान को लेकर बवाल
Bihar SIR: बिहार की राजनीति में मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष आमने-सामने हैं। जानिए कौन क्या तर्क दे रहा है और इस विवाद की असली सच्चाई।

Bihar SIR: बिहार की राजनीति में इन दिनों मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। जहां सत्तापक्ष इसे घुसपैठियों की पहचान से जोड़ रहा है, वहीं विपक्ष इस पूरी प्रक्रिया को सीधे-सीधे वोट चोरी बता रहा है।
घुसपैठ और फर्जीवाड़े की रोकथाम
सत्तापक्ष के नेता और केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने विपक्ष पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि राहुल गांधी और उनके सहयोगी चाहते हैं कि गैर-नागरिकों को भी मतदान का अधिकार मिले। उनका कहना है कि चुनाव आयोग ने पूरी मतदाता सूची बूथ स्तर तक सार्वजनिक कर दी है और विपक्ष को बताना चाहिए कि आखिर किस नागरिक का नाम इसमें नहीं है।
ललन सिंह ने विपक्ष पर आरोप लगाया
ललन सिंह ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वे चुनाव के दौरान फर्जीवाड़ा करना चाहते हैं। उनके अनुसार, यह पूरी कवायद मतदाता सूची को साफ-सुथरा और पारदर्शी बनाने की दिशा में उठाया गया कदम है, न कि किसी का वोट काटने की साजिश। उधर, बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कांग्रेस और राहुल गांधी पर लोकतंत्र विरोधी रवैये का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि बिहार की जनता जानती है कि कांग्रेस पार्टी का इतिहास लोकतंत्र को कुचलने वाला रहा है। उनके अनुसार, अगर वास्तव में किसी का नाम मतदाता सूची से गायब हुआ है तो विपक्ष को सबूत पेश करना चाहिए, केवल आरोप नहीं लगाने चाहिए।
वोट चोरी और लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन
विपक्ष ने इस मुद्दे को वोट चोरी से जोड़ा है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसे "गुजरात मॉडल" का हिस्सा बताते हुए आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी ने 2014 से ही वोट चोरी की शुरुआत की थी। राहुल गांधी का दावा है कि कर्नाटक और महाराष्ट्र में इस तरह की गड़बड़ियों के सबूत भी मौजूद हैं और अब बिहार में भी वही हो रहा है।
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग पर सीधा हमला बोला। उनके अनुसार, SIR न केवल लोगों के मताधिकार छीन रहा है बल्कि उनके अस्तित्व पर भी सवाल खड़ा कर रहा है। उन्होंने कहा कि नाम काटने की प्रक्रिया से लोगों को सरकारी योजनाओं से वंचित करने की साजिश रची जा रही है। तेजस्वी ने यह भी आरोप लगाया कि विपक्षी दलों के प्रतिनिधि चुनाव आयोग से मिले थे, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, जिससे साफ है कि कहीं न कहीं गड़बड़ी हो रही है।
राजनीतिक महत्व और संभावित प्रभाव
यह विवाद केवल वोटों की गिनती का मामला नहीं है, बल्कि बिहार की राजनीति के भविष्य से भी जुड़ा है। सत्तापक्ष इस मुद्दे को राष्ट्रीय सुरक्षा और घुसपैठ से जोड़ने की कोशिश कर रहा है, वहीं विपक्ष इसे लोकतंत्र और नागरिक अधिकारों पर हमला बता रहा है।यह स्पष्ट है कि आने वाले चुनावों में यह प्रसंग एक बड़ा राजनीतिक हथियार बनेगा। विपक्ष इसे जनता तक ले जाकर सत्ता के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश करेगा, जबकि सत्तापक्ष इसे "पारदर्शी लोकतंत्र" की पहल के रूप में पेश करेगा।