Nitish Kumar resigns: विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री को इस्तीफा क्यों देना पड़ता है? समझिए अनुच्छेद 164 और सरकार गठन की पूरी संवैधानिक प्रक्रिया
Nitish Kumar resigns: विधानसभा चुनावों के बाद मुख्यमंत्री इस्तीफा क्यों देते हैं? अनुच्छेद 164, कार्यवाहक CM की भूमिका और सरकार गठन की संवैधानिक प्रक्रिया को सरल भाषा में समझें।
Nitish Kumar resigns: विधानसभा चुनावों के परिणाम आने के साथ ही एक ऐसा संवैधानिक क्षण आता है जिसे आम जनता केवल एक रस्म की तरह देखती है, लेकिन वास्तव में यह लोकतंत्र की रीढ़ की हड्डी है। जैसे ही नई विधानसभा का गठन होता है, पुरानी विधानसभा का कार्यकाल समाप्त हो जाता है और उसके साथ ही वह सरकार भी समाप्त मानी जाती है जिसने पिछली विधानसभा के विश्वास पर शासन किया था, इसलिए मुख्यमंत्री का इस्तीफ़ा केवल पद छोड़ना नहीं है, बल्कि यह जनता द्वारा दिए गए नए आदेश को स्वीकार करने का सम्मानजनक तरीका है। संविधान इस बात पर जोर देता है कि सरकार जनता से मिले जनादेश पर चलती है—और जब यह जनादेश नया हो जाए, तो पुरानी सरकार के अस्तित्व का औचित्य समाप्त हो जाता है। यही कारण है कि इस्तीफ़ा लोकतांत्रिक परंपरा का आवश्यक हिस्सा है।
अनुच्छेद 164 क्या कहता है और यह इस्तीफ़े से कैसे जुड़ा है?
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 164 राज्य की सरकार को वैधता देने वाली आधारशिला माना जाता है। मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा होती है और मंत्री उन्हीं की सलाह से चुने जाते हैं। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पूरी मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से विधानसभा के प्रति जवाबदेह होती है।इसका सीधा अर्थ है कि अगर विधानसभा ही अस्तित्व में नहीं रही, तो मंत्रिपरिषद की वैधता भी उसी क्षण समाप्त हो जाती है। नई विधानसभा आने के बाद पुरानी सरकार अपने आप खाली स्थिति में पहुँच जाती है। मुख्यमंत्री का इस्तीफ़ा इस संवैधानिक परिवर्तन को औपचारिक रूप देता है और राजनीतिक शुचिता का प्रतीक बनकर सामने आता है।अगर मुख्यमंत्री ऐसा न करें, तो उनकी सरकार तकनीकी रूप से उस सदन के सामने जवाबदेह नहीं रहेगी जिसने उन्हें चुना था—और ऐसे में शासन की पूरी व्यवस्था असंवैधानिक ठहर सकती है।
कार्यवाहक मुख्यमंत्री क्यों जरूरी होते हैं?
इस्तीफ़ा देने के बाद यह सवाल उठता है कि जब तक नई सरकार नहीं बनती, तब तक राज्य का संचालन कौन करेगा? ऐसे समय में संवैधानिक परंपरा यह मार्ग दिखाती है कि निवर्तमान मुख्यमंत्री ही कार्यवाहक रूप में शासन की बागडोर संभालते हैं।
इस व्यवस्था का उद्देश्य केवल इतना है कि प्रशासन रुक न जाए। रोज़मर्रा के सरकारी कार्य, कानून-व्यवस्था और आवश्यक फैसला तुरंत लिए जा सकें। परंतु कार्यवाहक मुख्यमंत्री किसी बड़े निर्णय, नई योजनाओं या भारी खर्च से जुड़े फैसलों को आगे नहीं बढ़ा सकते।इस छोटे से अंतराल में सरकार का काम केवल स्थिरता बनाए रखना होता है, शक्ति का उपयोग करना नहीं।
नई सरकार कैसे बनती है? जनादेश से शपथ तक की प्रक्रिया
जैसे ही मुख्यमंत्री अपना इस्तीफ़ा राज्यपाल को सौंप देते हैं, उसके बाद राज्य में नई सरकार के गठन की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। राज्यपाल देखता है कि किस दल या गठबंधन को जनता ने सबसे बड़ा समर्थन दिया है। वही दल अपने नेता को चुनता है, जिसे आगे चलकर मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी मिलती है। राज्यपाल की तरफ से बुलाए जाने के बाद यह नेता शपथ लेता है और मंत्रिपरिषद का गठन होता है। लेकिन यह प्रक्रिया तभी पूर्ण मानी जाती है जब नई सरकार विधानसभा में बहुमत साबित कर दे।