बिहार इलेक्शन में ससुराल वाला ट्विस्ट! जीजाजी विधानसभा से बाहर, सालीजी ने मारी एंट्री, एक ही चुनाव में यादव परिवार की जीत-हार की दास्तान
Bihar Election Result Twist: बिहार विधानसभा चुनाव ने इस बार राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के परिवार को मिला-जुला संदेश दिया है सियासी इम्तिहान भी, सियासी इनाम भी। ...
Bihar Election Result Twist: बिहार विधानसभा चुनाव ने इस बार राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के परिवार को मिला-जुला संदेश दिया है सियासी इम्तिहान भी, सियासी इनाम भी। सबसे बड़ा झटका लगा लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को, जिन्हें महुआ सीट पर बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा। वहीं छोटे बेटे और महागठबंधन के चेहरे तेजस्वी यादव ने राघोपुर से जीत दर्ज कर अपनी पकड़ को मज़बूत बनाए रखा।
लेकिन इन सबके बीच सबसे बड़ी और चौंकाने वाली कामयाबी रही तेज प्रताप की साली डॉ. करिश्मा राय की ऐतिहासिक जीत। राजद प्रत्याशी करिश्मा राय ने परसा सीट से अपनी राजनीतिक पारी का ऐसा आगाज़ किया, जिसने राजद कैंप में नई ऊर्जा भर दी। उन्होंने 89,093 वोट हासिल कर जदयू के उम्मीदवार छोटेलाल राय को बड़े फ़ासले से शिकस्त दी, जिन्हें इस बार 63,321 वोट मिले।
महुआ में तेज प्रताप यादव का प्रदर्शन बेहद कमजोर रहा। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के संजय कुमार सिंह ने यहाँ जीत दर्ज की, जबकि तेज प्रताप तीसरे नंबर पर आ गए। यह नतीजा उनके राजनीतिक भविष्य पर सवाल खड़ा करने वाला माना जा रहा है, खासकर तब जब वे लगातार विवादों और संगठनात्मक असहमति के कारण चर्चा में रहे।
उधर, करिश्मा राय की जीत कई संदर्भों से अहम है। पेशे से डेंटिस्ट, करिश्मा बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री दरोगा राय की पोती और तेज प्रताप की पत्नी ऐश्वर्या राय की चचेरी बहन हैं। पारिवारिक समीकरणों के उतार-चढ़ाव के बीच, करिश्मा का राजनीति में कदम रखना और फिर इतनी बड़ी जीत हासिल करना राजनीतिक गलियारों में चर्चा का बड़ा विषय बन गया।
बता दें कि तेज प्रताप और ऐश्वर्या राय का वैवाहिक विवाद 2020 से अदालत में लंबित है। इसी विवाद की वजह से ऐश्वर्या के पिता चंद्रिका राय ने आरजेडी से दूरी बनाई और जदयू का दामन थामा। दिलचस्प यह रहा कि पिछले चुनाव में छोटेलाल राय ने खुद चंद्रिका राय को 17,000 वोटों से हराया था। लेकिन इस चुनाव में छोटेलाल को उसी परिवार की बेटी करिश्मा से हार का स्वाद चखना पड़ा।
तेजस्वी यादव ने चुनाव से पहले करिश्मा राय को आरजेडी में शामिल कराया था। माना जा रहा है कि यह कदम रणनीतिक था और परसा के सामाजिक समीकरणों को देखते हुए राजद ने सही चुनाव किया।
कुल मिलाकर, तेज प्रताप की हार और करिश्मा राय की जीत ने यह साफ कर दिया है कि बिहार में वोटर अब व्यक्ति की साख, मेहनत और स्थानीय पकड़ के आधार पर निर्णय ले रहा है सिर्फ बड़े नामों के आधार पर नहीं।यह चुनाव यादव परिवार के लिए सियासी सबक भी है और नई उम्मीद भी।