BJP Attack Tejashwi Yadav: तेजस्वी यादव का वोटर लिस्ट विवाद से SIR 2025 पर गरमाई राजनीति! BJP ने साधा निशाना, कहा दी इतनी बड़ी बात
BJP Attack Tejashwi Yadav: बिहार विधानसभा में नेता विपक्ष तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग पर मतदाता सूची से नाम काटने का आरोप लगाया।

BJP Attack Tejashwi Yadav: बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के विधायक तेजस्वी यादव ने 2 अगस्त 2025 को एक बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि चुनाव आयोग ने विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के तहत उनका नाम मतदाता सूची से हटा दिया है। तेजस्वी ने इसे साजिश बताते हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस में चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए।तेजस्वी का कहना है कि आयोग ने SIR 2025 की प्रक्रिया में जानबूझकर धांधली की है, और 65 लाख से अधिक वोटर नेम हटाए जाने के बावजूद जारी की गई ड्राफ्ट लिस्ट में अस्पष्टता बनी हुई है।
अमित मालवीय ने बताया आपराधिक कदाचार
भाजपा के आईटी प्रमुख अमित मालवीय ने तेजस्वी यादव के दावे को गंभीरता से लेते हुए उन पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने अपने एक्स (पूर्व ट्विटर) अकाउंट पर लिखा कि अगर तेजस्वी यादव ने जिस वोटर आईडी नंबर का हवाला दिया है वह आयोग के रिकॉर्ड और हलफनामे से मेल नहीं खाता, तो यह आपराधिक कदाचार हो सकता है।उन्होंने SIR 2025 प्रक्रिया को फर्जी वोट और डुप्लीकेट नामों की पहचान का जरिया बताया और स्पष्ट किया कि हाई-प्रोफाइल लोगों के साथ भी कोई विशेष व्यवहार नहीं किया जाएगा।
तेजस्वी यादव का नाम सूची में है
पटना के जिलाधिकारी और बिहार के मुख्य चुनाव पदाधिकारी डॉ. त्यागराजन एसएम ने तेजस्वी यादव के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने ANI को दिए बयान में कहा कि तेजस्वी यादव का नाम मतदाता सूची में मौजूद है। वह उसी बूथ पर दर्ज हैं जहां वे 2020 में मतदान करते थे। इसका सार्वजनिक रिकॉर्ड भी उपलब्ध है।”चुनाव अधिकारी ने यह भी कहा कि यदि तेजस्वी किसी अन्य EPIC नंबर का हवाला दे रहे हैं, तो पहले उसे प्रस्तुत करना होगा। फिलहाल, 2020 में नामांकन के समय जो एपिक नंबर था, वही वैध है।
मतदाता सूची सुधार या सियासी हथियार?
SIR (Special Intensive Revision) प्रक्रिया चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची की शुद्धता के लिए की जाती है। इसके तहत फर्जी, डुप्लीकेट, मृत, स्थानांतरित या अवैध नामों को हटाया जाता है। तेजस्वी यादव का यह आरोप कि यह प्रक्रिया पारदर्शी नहीं रही, इस पूरी कवायद की निष्पक्षता पर प्रश्नचिन्ह लगाता है।राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विधानसभा चुनाव नजदीक होने की वजह से हर कदम को अब सियासी चश्मे से देखा जा रहा है। ऐसे में यह विवाद 2025 के चुनावी मौसम को गर्म कर सकता है।