Vande Bharat Sleeper Train: बिहार से इसी महीने खुलेगी देश की पहली स्लीपर वंदे भारत हाई स्पीड ट्रेन , तेजस-सी रफ़्तार, राजधानी-सा आराम और वंदे भारत की टेक्नोलॉजी, रेल में क्रांति की गूंज

Vande Bharat Sleeper Train: पटना–नई दिल्ली के बीच चलने वाली वंदे भारत स्लीपर ट्रेन सिर्फ एक ट्रेन नहीं, बल्कि बिहार और पूरे देश के रेल इंफ्रास्ट्रक्चर का नया मुक़द्दर लिखने वाली क़दमगाह है।

Bihar Vande Bharat Sleeper Train
बिहार से खुलेगी देश की पहली स्लीपर वंदे भारत - फोटो : Hiresh Kumar

Vande Bharat Sleeper Train: पटना–नई दिल्ली के बीच चलने वाली वंदे भारत स्लीपर ट्रेन सिर्फ एक ट्रेन नहीं, बल्कि बिहार और पूरे देश के रेल इंफ्रास्ट्रक्चर का नया मुक़द्दर लिखने वाली क़दमगाह है। सियासी गलियारों में इसे “रेल क्रांति का नया चैप्टर” कहा जा रहा है, क्योंकि यह ट्रेन आम लोगों की रातभर की यात्रा को प्रीमियम लग्ज़री के नए दौर में ले जाएगी। तेजस की रफ़्तार, राजधानी-सा आराम और वंदे भारत जैसी टेक्नोलॉजी इन सबका संगम इसी महीने पटरी पर उतरने वाला है।

यह ट्रेन 160 km/h की स्पीड पर दौड़ रही हो तब भी कप में रखी चाय न छलके यही इसकी इंजीनियरिंग का कमाल है। मानो यह देश की नई रफ़्तार, नया आत्मविश्वास और नए भारत की मशीनरी का सफ़रनामा हो। वंदे भारत स्लीपर में कुल 16 कोच होंगे-11 AC3, 4 AC2 और 1 AC1। कुल 827 यात्री इसमें सफ़र कर सकेंगे, और किराया राजधानी एक्सप्रेस के आसपास रहने की उम्मीद है, ताकि आराम और सामर्थ्य दोनों का बैलेंस बरकरार रहे।

बेंगलुरु की BEML फैक्ट्री में दो रैक तैयार हो रहे हैं। 12 दिसंबर को पहला रैक भेजा जाएगा और पटना–दिल्ली रूट पर इसका ट्रायल रन होगा। कोशिश है कि नए साल से पहले यह ट्रेन अपने पहले सफ़र पर रवाना हो जाए। सप्ताह में छह दिन चलने वाली यह ट्रेन शाम को पटना से चलेगी और सुबह दिल्ली पहुंचेगी, जैसे अपने साथ एक नए सपनों की सुबह लेकर आती हो।

वंदे भारत स्लीपर का इंटीरियर भी राजनीति के मंच पर चर्चा का विषय बना हुआ है। फ्लाइट जैसा आराम, प्रीमियम होटल जैसा माहौल—USB रीडिंग लैंप, Wi-Fi, इंफोटेनमेंट, गर्म पानी के शावर, टच-फ्री टॉयलेट और ताज़ा भोजन की सुविधा इसे यात्रियों के लिए एक चलता-फिरता लग्ज़री सूट बना देती है। ऊपर की बर्थ के लिए एर्गोनोमिक सीढ़ियां, दिव्यांगजनों के लिए PRM-फ्रेंडली डिजाइन और सील गैंगवे जैसी सुविधाएं इसे पूरी तरह मॉडर्न और मानवीय स्पर्श से भर देती हैं।

सुरक्षा के मोर्चे पर भी यह ट्रेन एक ‘टेक्नोलॉजिकल शहंशाह’ है। भारतीय रेलवे का  कवच सिस्टम इस ट्रेन को हाई-टेक सुरक्षा प्रदान करता है, जिससे टक्कर की संभावनाएं लगभग समाप्त हो जाती हैं। इमरजेंसी टॉक-बैक यूनिट्स, CCTV निगरानी, ऑटोमैटिक प्लग डोर्स ये सब मिलकर यात्रियों को सुरक्षा का वह भरोसा देते हैं, जिसकी लोग वर्षों से मांग करते आए हैं।

आज देश भर में 164 वंदे भारत ट्रेनें दौड़ रही हैं, पर लंबी दूरी के लिए स्लीपर वैरिएंट की मांग लगातार बढ़ रही थी। 3 दिसंबर को लोकसभा में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने खुद कहा कि लंबी दूरी की रातभर की यात्रा के लिए स्लीपर वेरिएंट देश में ही डिजाइन किया गया है। यह सिर्फ बयान नहीं, बल्कि देश की इंजीनियरिंग क्षमता और राजनीतिक इच्छाशक्ति का सबूत भी है।

पटना–दिल्ली रूट पर वंदे भारत स्लीपर की शुरुआत सिर्फ यात्रा नहीं बदलेगी, बल्कि यह बताएगी कि देश की रफ़्तार अब नई पटरी पर है-तेज, सुरक्षित, आधुनिक और जनता की उम्मीदों के बिल्कुल करीब।