बिहार में तपते आसमान से झुलसती ज़मीन, इस दिन से फिर बरसेंगे बादल, दूसरी तरफ़ कोसी का प्रचंड कहर, कई गाँव बने टापू
Bihar Weather: बिहार की जमीन इस वक़्त आग उगल रही है। सूरज के तेवर ऐसे हैं कि सुबह होते-होते ही दोपहर का अहसास कराने लगते हैं। उमस भरी हवाएं मानो लोगों के जिस्म से पसीना निचोड़ रही हों।...

Bihar Weather: बिहार इस वक्त मौसम के बेरुखी भरे तांडव से कराह रहा है। आसमान तो बादलों से भरा पड़ा है लेकिन बरखा मानो ‘इंतजार करवाने की ठान बैठी हों’। उमस और तेज धूप ने हालात ऐसे बना दिए हैं कि सुबह से ही दोपहर का एहसास होने लगता है। 36°C से ऊपर पहुंचा पारा लोगों की नाक में दम कर रहा है। हालत यह है कि पंखा, कूलर और एसी सब बेमानी लगने लगे हैं।आज यानी 4 सितंबर को आसमान आंशिक रूप से बादलों से ढका रहेगा, मगर धूप का तीखा वार जारी रहेगा। कुछ ज़िलों में हल्की बारिश की संभावना जताई गई है, लेकिन उससे कोई बड़ा फ़र्क़ पड़ने वाला नहीं। उमस का कहर वैसे ही बरक़रार रहेगा।
बिहार की ज़मीन इस वक़्त आग उगल रही है। सूरज के तेवर ऐसे हैं कि सुबह होते-होते ही दोपहर का अहसास कराने लगते हैं। उमस भरी हवाएं मानो लोगों के जिस्म से पसीना निचोड़ रही हों। हालात ये हैं कि पूरा प्रदेश तवा बन चुका है और जनता तपिश के तवे पर रोटियों की तरह सिक रही है। मानसून की बेरुख़ी ने हालात और भी बदतर बना दिए हैं।
पिछले कई दिनों से आसमान में बादल महज़ मेहमान बनकर आते हैं और बिना बरसे ही रुख़सत हो जाते हैं। कहीं-कहीं हल्की बूंदाबांदी दर्ज की गई वैशाली, औरंगाबाद और राजगीर में ज़रा-सी फुहार गिरी, लेकिन उससे न राहत मिली न ठंडक। इस बीच पारा 36 डिग्री सेल्सियस से ऊपर जा चुका है। ऐसे में बिहारवासियों के सब्र का प्याला छलकने ही वाला है।
मगर अब उम्मीद की किरण दिखाई दे रही है। बिहार मौसम केंद्र ने ऐलान किया है कि 6 सितंबर से आसमान का मिज़ाज बदलेगा। पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, गोपालगंज और सीवान से बारिश की दस्तक होगी और धीरे-धीरे इसका दायरा पूरे बिहार में फैलेगा। माना जा रहा है कि सितंबर का यह दूसरा हफ़्ता तपिश से झुलस रहे प्रदेश को राहत देगा।
बिहार मौसम केंद्र की रिपोर्ट कहती है कि फिलहाल बिहार में इस साल अब तक 29 फ़ीसदी कम बारिश हुई है। यही वजह है कि खेत सूखे पड़े हैं, तालाब प्यासे हैं और किसान मायूस। बारिश की कमी ने फसल पर तलवार लटका दी है। धान की रोपनी अधूरी है, मक्के की फसल मुरझा रही है और सब्ज़ी उत्पादन पर भी खतरा मंडरा रहा है।
लोग अब बेसब्री से उस दिन का इंतज़ार कर रहे हैं जब आसमान गरजेगा, बिजली कड़केगी और झमाझम बारिश होगी। 6 सितंबर से जब बादलों का कारवां बिहार की ओर रुख़ करेगा, तब जाकर गर्मी और उमस की इस तानाशाही का अंत होगा। बिहार की जनता फिलहाल गर्मी और इंतज़ार दोनों की सज़ा काट रही है। अब सारी नज़रें उस बारिश पर टिकी हैं, जो पश्चिम चंपारण से शुरू होकर पूरे प्रदेश को तरबतर करने वाली है।
वहीं दरभंगा से सुपौल तक कोसी नदी ने एक बार फिर अपना रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया है। जलस्तर में लगातार बढ़ोतरी से किरतपुर अंचल के गांव टापू में बदल गए हैं। सड़कें टूट चुकी हैं, गांव का गांव अलग-थलग हो गया है। तटबंधों के भीतर बसे लोग अब ऊंचे स्थानों पर पलायन को मजबूर हैं।
राजधानी पटना में भी गंगा, सोन और पुनपुन नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। गांधीघाट पर गंगा अब खतरे के निशान से सिर्फ एक मीटर नीचे रह गई है। यानी स्थिति ‘खतरे के एक कदम पहले’ वाली हो चुकी है
सुपौल के सदर प्रखंड और किशनपुर इलाके में कोसी की मार सबसे ज्यादा दिख रही है। बलवा पंचायत और दुबियाही पंचायत में अबतक 80 से ज्यादा परिवारों के 100 से ऊपर घर नदी में समा चुके हैं। सोमवार की रात लालगंज वार्ड-13 में ही 40 परिवारों के 60 घर नदी की धारा में विलीन हो गए। सड़कें पानी में बह गईं, कहीं दो तो कहीं तीन फीट तक पानी फैल चुका है। लोग अपना सामान तक सुरक्षित निकालने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं।
नेपाल और उत्तर बिहार में लगातार हो रही बारिश ने गंडक, कोसी, बागमती, महानंदा और कमला बलान जैसी नदियों को भी उफान पर ला दिया है। खतरे के निशान से ऊपर बह रहीं इन नदियों ने कई जिलों में तटबंधों पर दबाव बढ़ा दिया है। निचले इलाकों में पानी घुसने लगा है और गांव डूबने की कगार पर पहुंच गए हैं।