BJP को चुकानी पड़ी गृह विभाग के लिए भारी कीमत, हाथ से निकले कई अहम मंत्रालय, JDU ने नहीं किया कोई समझौता, जानिए कैसे?
Bihar Politics: बीजेपी को गृह विभाग लेने के लिए भारी कीमत चुकानी पड़ी है। बीजेपी के हाथ से कई अहम विभाग निकल गए हैं। आइए समझते हैं पूरी खबर........
Bihar Politics: बिहार में विधानसभा चुनाव के रिजल्ट के बाद बीजेपी बिहार में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। 101 सीटों पर चुनाव लड़ी बीजेपी को 89 सीटें आई। वहीं जदयू को पाले में 85 सीट आई। हालांकि इसके बावजूद बीजेपी ने सीएम नीतीश को ही सीएम पद दिया। 20 नवंबर को सीएम नीतीश ने रिकॉर्ड 10वीं बार सीएम पद और गोपनीयता की शपथ ली। सीएम नीतीश के साथ 26 अन्य ने भी मंत्री पद की शपथ ली। जिसके बाद देर शाम सभी मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा किया गया। मंत्रियों के बंटवारे में सबसे चौंकाने वाला विभाग रहा गृह विभाग। गृह विभाग जो पिछले 20 सालों से सीएम नीतीश ने अपने पास रखा था उसे बीजेपी को दे दिया। सीएम नीतीश ने गृह विभाग उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी को दे दी। जिसके बाद राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा तेज हो गई कि सीएम नीतीश बीजेपी के आगे सरेंडर कर दिए और बीजेपी को गृह विभाग दे दिए। राजनीतिक जानकारों का कहना था कि गृह विभाग को सीएम नीतीश अपने ही पास रखेंगे लेकिन विभाग के बंटवारे में ऐसा कुछ नहीं हुआ और गृह विभाग बीजेपी को मिल गई। लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि गृह विभाग लेने के बाद भी बीजेपी घाटे की सौदा में ही है।
बीजेपी को चुकानी पड़ी कीमत
दरअसल, गृह विभाग को अपने कोटा में लेने के लिए बीजेपी को बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है। बीजेपी के हाथ से कई अहम मंत्रालय निकल गए हैं। यही नहीं सीएम नीतीश ने भी कोई समझौता नहीं किया है। सहयोगी दलों को भी मंत्रालय बीजेपी को अपने पाले से देना पड़ा है। वित्त मंत्रालय जो सम्राट चौधरी के पास था वो अब जदयू के पास है। साथ ही कई अहम विभाग जो पहले बीजेपी के पास था वो अब सहयोगी दल लोजपा(रा), रालोमो के पास है। बीजेपी को अपने हिस्से के चार बड़े विभाग अपने सहयोगियों को देना पड़ा। जिसमें पंचायती राज विभाग, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण और गन्ना उद्योग शामिल है।
सहयोगी को दिए कई अहम विभाग
पंचायती राज पहले बीजेपी के नेता केदार गुप्ता के पास था। वहीं लोक स्वास्थ अभियंत्रण मंत्री नीरज कुमार बबलू थे। जबकि गन्ना उद्योग विभाग बीजेपी नेता कृष्णनंदन पासवान के पास था। ये तीनों विभाग अब सहयोगी दलों के पास है। गन्ना उद्योग विभाग लोजपा(रा) के प्रत्याशी संजय कुमार के पास है। लोक स्वास्थ अभियंत्रण विभाग लोजपा(रा) के संजय कुमार सिंह के पास है। ठीक वैसे ही पंचायती राज विभाग रालोमो नेता और उपेंद्र कुशवाहा के बेटे दीपक कुशवाहा के पास है। बीजेपी को गृह विभाग के लिए अपने 3 सबसे अहम विभाग को अपने सहयोगियों को देना पड़ा है। सबसे अहम बात यह है कि जदयू ने अपने हिस्से का कोई भी विभाग सहयोगी दल को नहीं दिया। है जिससे साफ जाहिर है कि बीजेपी ने कीमत चुका कर गृह विभाग को अपने पास रखा है। गृह विभाग सम्राट चौधरी के पास है।
भाजपा भी जदयू से पिछड़ी
दो उप मुख्यमंत्री और 14 मंत्रियों के होने के बाद भी भाजपा के कोटे में आये विभागों का बजट जदयू से कम है. भाजपा के पास मात्र 29.22 फीसदी कुल बजट का विभाग है जबकि लोजपा के मंत्रियों के पास 0.91 फीसदी बजट वाले विभाग और हम के मंत्री के पास 0.58 फीसदी बजट वाले विभाग जबकि रालोमो के पास 3.56 फीसदी बजट वाला विभाग है. शेष बजट वाले विभाग जदयू के पास हैं जो कुल बजट का करीब 65 फीसदी होता है।
बजट में बीस है दीपक का विभाग
दीपक प्रकाश जिस पंचायती राज विभाग का बंटवारा संभाल रहे हैं उस विभाग का बजट 11 हजार 302.52 करोड़ रुपए है. वहीं लोजपा को मिले मंत्रियों के विभागों में गन्ना उद्योग विभाग 192 .23 करोड़ के बजट वाला है जबकि लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग का 2702.63 करोड़ का बजट है. वहीं संतोष सुमन के लघु जल संसाधन विभाग का बजट 1839.11 करोड़ रुपए है. यानी संतोष सुमन के विभाग के मुकाबले दीपक प्रकाश के विभाग के बजट करीब 6 गुणा ज्यादा है जबकि लोजपा के मंत्रियों के विभागों की तुलना में करीब साढ़े तीन गुणा ज्यादा है।