PATNA - बिहार की सियासत में शह और मात का खेल शुरू हो गया है। खेल ऐसा जिसमें दुश्मनों के साथ अपनों को भी पीछे छोड़ने से परहेज नहीं किया जा रहा है। जिस तरह से आज नीतीश कैबिनेट में भाजपा ने अपने सात विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई, उसके बाद अब कैबिनेट में न सिर्फ भाजपा के मंत्रियों की संख्या 21 हो गई है। बल्कि भाजपा ने नीतीश सरकार पर हावि भी होती नजर आ रही है। भाजपा ने जिस तरह से मंत्रियों के चयन में जातिगत समीकरण साधने की कोशिश की है, उसके बाद बिहार में होनेवाले चुनाव में फिर से जाति का मुद्दा गरमा गया है। सभी पार्टियां जातियों को अपनी तरफ करने की कोशिश में जुट गई है। अब जातिगत समीकरण किस तरफ बैठेगा। जानिए..
भाजपा ने जिन सात चेहरों को मंत्री बनाया, उससे न सिर्फ जातिगत समीकरण साधने की कोशिश की गई। बल्कि यह ऐसे क्षेत्र से आते हैं, जिसे जदयू का गढ़ कहा जाता है। माना जा रहा है कि भाजपा जदयू के गढ़ में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है। उदाहरण के लिए बिहार से पांच बार के विधायक सुनील कुमार की लें, तो वह कोयरी जाति से आते हैं। लंबा राजनीतिक अनुभव होने के बावजूद उन्हें कभी कैबिनेट में जगह नहीं मिली।
बिहारशरीफ नालंदा जिले का मुख्यालय है। जिसे सीएम नीतीश का गृह जिला माना जाता है। यह पहली बार हुआ है कि बिहार शरीफ के किसी विधायक को मंत्री बनाया गया है। नालंदा जिले के लिए भाजपा के लिए एक बड़े प्लान का हिस्सा है। भाजपा की कोशिश है कि सुनील कुमार के जरिए नालंद के कोयरी जाति को अपने पक्ष में किया जाए। साथ ही खुद को मजबूत किया जा सके।
कुर्मी जाति से कृष्ण कुमार मंटू पर बड़ा दांव
अमनौर से भाजपा विधायक कृष्ण कुमार मंटू को भी मंत्री बनाया जाएगा. वे कुर्मी जाति से हैं। कृष्ण कुमार मंटू ने इसी महीने पटना में कुर्मी एकता रैली आयोजित की थी। जिसमें उन्होंने कुर्मी जाति में अपनी राजनीतिक स्थिति को दिखाया था। इसके साथ ही वह पटेल छात्रावास निर्माण ट्रस्ट के अध्यक्ष भी हैं। यह ट्रस्ट विभिन्न जिलों में पटेल समाज के छात्रों के लिए हॉस्टल चलाता है। इसके साथ ही उन्हें सांसद राजीव प्रताप रुडी का करीबी भी माना जाता है। युवाओं में कृष्ण कुमार मंटू लोकप्रिय भी हैं। जिसका फायदा भाजपा को चुनाव में मिल सकता है।