Srijan Scam - नई सरकार आने से पहले सृजन घोटाले में हो गया फैसला, इन आरोपियों को मिली सश्रम कारावास की सजा

Srijan Scam - बिहार के चर्चित सृजन घोटाले में आज पहली सजा सुनाई गई है। सीबीआई कोर्ट ने मामले में तीन लोगों को सश्रम कारावास की सजा सुनाई है।

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Patna - बिहार के बहुचर्चित सृजन घोटाले से जुड़े पहले मामले में पटना स्थित केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) की विशेष अदालत ने मंगलवार को सजा सुना दी है। न्यायाधीश सुनील कुमार-2 की विशेष अदालत ने 12.20 करोड़ रुपये से अधिक के इस घोटाले से संबंधित आरसी 11ए/2017 (स्पेशल केस नंम्बर 3/2018) में यह फैसला दिया। कोर्ट ने दोषी पाए गए तीन लोगों को सश्रम कारावास और भारी जुर्माने की सजा सुनाई है, जिसे न्यायिक प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

नाजिर, बैंक मैनेजर और एक अन्य दोषी

सीबीआई कोर्ट ने जिन तीन आरोपितों को दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई है, उनमें भागलपुर जिलाधिकारी (DM) कार्यालय के तत्कालीन नाजिर अमरेन्द्र कुमार यादव, इंडियन बैंक भागलपुर शाखा के तत्कालीन सहायक प्रबंधक राकेश कुमार, और अजय कुमार पांडेय शामिल हैं। सीबीआई ने इस मामले में तीन आरोपितों के खिलाफ ही चार्जशीट दायर की थी। सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने $38$ गवाह पेश किए, जिनके बयान और ठोस साक्ष्यों के आधार पर अदालत ने तीनों आरोपितों को भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दोषी पाया।

किसे कितनी मिली सजा और जुर्माना?

अदालत द्वारा सजा का विवरण इस प्रकार है:

अमरेन्द्र कुमार यादव (तत्कालीन नाजिर): इन्हें चार वर्षों का सश्रम कारावास और ₹14 लाख का जुर्माना लगाया गया है।

अजय कुमार पांडेय: इन्हें भी चार वर्ष का सश्रम कारावास और ₹6 लाख 25 हजार का जुर्माना देने की सजा सुनाई गई है।

राकेश कुमार (बैंक सहायक मैनेजर): इन्हें तीन वर्ष के सश्रम कारावास की सजा दी गई है, साथ ही उन पर ₹2.5 लाख का जुर्माना भी लगाया गया है।

क्या था सृजन घोटाला?

सृजन घोटाला 2017 में उजागर हुआ था, जब यह पता चला कि वर्ष 2003-04 से लेकर $2017$ के बीच बांका और भागलपुर कोषागार से 12 करोड़ रुपये से अधिक की सरकारी रकम को अवैध रूप से सृजन महिला विकास समिति लिमिटेड नामक एक गैर-सरकारी संगठन (NGO) के खाते में हस्तांतरित कर दिया गया था। सरकारी अधिकारियों, बैंक कर्मियों और एनजीओ संचालकों की मिलीभगत से यह घोटाला वर्षों तक चला। शुरुआत में इस मामले की जाँच पुलिस ने की थी, लेकिन इसकी गंभीरता और बड़े दायरे को देखते हुए बाद में इसे केंद्रीय जाँच एजेंसी (CBI) को सौंप दिया गया था।

CBI के अन्य मामलों में भी जल्द फैसले की उम्मीद

यह फैसला सृजन घोटाला से जुड़े कई अन्य मामलों के लिए भी एक नज़ीर बन सकता है, जिनकी जाँच सीबीआई द्वारा की जा रही है। ₹12.20 करोड़ से अधिक के इस पहले मामले में सजा सुनाए जाने के बाद, यह उम्मीद जताई जा रही है कि अन्य लंबित मामलों में भी न्यायिक प्रक्रिया में तेज़ी आएगी और घोटाले में शामिल अन्य बड़े चेहरों को भी जल्द ही सजा मिलेगी।