Bihar land Survey: CO और RO को मंत्री जी ने नाप दिया, गलतबयानी पड़ी भारी, नए आदेश से मचा हड़कंप
Bihar land Survey: CO और RO पर गाज गिरने के बाद विभाग में हड़कंप मचा है। जो अफसर कल तक फाइलों पर कुंडली मारकर बैठे थे, वो अब आनन-फानन में गलतियों को सुधारने की जुगत में लग गए हैं।

Bihar land Survey: बिहार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने एक बार फिर साबित कर दिया कि अगर आप गलत जानकारी देने और गरीबों के हक को कुचलने की कला में माहिर हैं, तो निलंबन का तमगा आपका इंतजार कर रहा है! बगहा-दो के अंचल अधिकारी निखिल और जगदीशपुर के राजस्व अधिकारी नागेंद्र कुमार को विभाग ने ऐसी फटकार लगाई कि अब ये दोनों अपनी कुर्सी की जगह हवा में लटकते नजर आ रहे हैं। आरोप? भूमिहीनों को वास भूमि देने में लापरवाही और समीक्षा बैठक में "झूठ की दुकान" खोलकर गलत जानकारी परोसना!
8 मई की वो बैठक, जहां खुला 'गलतबयानी' का पिटारा
पिछले हफ्ते, 8 मई को राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री संजय सरावगी ने समीक्षा बैठक बुलाई थी। सोचा होगा, चलो देखते हैं, हमारे अफसरों ने कितने भूमिहीनों को उनका हक दिलाया। लेकिन वहां तो निखिल और नागेंद्र ने ऐसा 'जादू' दिखाया कि मंत्री जी का पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया! दोनों ने गलत आंकड़े पेश किए, जैसे कोई स्कूल का बच्चा होमवर्क भूलकर टीचर को बहाना सुना रहा हो।
बगहा-दो: जहां 1912 में से 1709 को बताया 'अयोग्य'
बगहा-दो में कुल 1912 सर्वेक्षित परिवारों को वास भूमि के लिए सुयोग्य माना गया था। लेकिन हमारे 'महान' अंचल अधिकारी निखिल ने 1709 परिवारों को एक झटके में अयोग्य घोषित कर दिया! और तो और, कुछ अनुसूचित जाति और जनजाति के परिवारों को भी "न तुम लायक, न तुम्हारा हक" कहकर दरकिनार कर दिया गया। राजस्व कर्मचारी ने जो रिपोर्ट दी, उसे सत्यापित करने की जहमत तक नहीं उठाई गई। यानी, "रिपोर्ट आई, स्टैंप लगाया, अयोग्य करार दिया, हो गया काम!"
जगदीशपुर: 764 में से 689 को दिखाया ठेंगा
उधर, भागलपुर के जगदीशपुर में राजस्व अधिकारी नागेंद्र कुमार ने भी कमाल कर दिया। 764 सुयोग्य परिवारों में से 689 को अयोग्य ठहरा दिया गया। मानो कह रहे हों, "भूमिहीन हो तो क्या, जमीन तो तुम्हें मिलेगी नहीं!" जांच-पड़ताल? वो क्या बला है? बस, कागजों पर खेल कर दिया और गरीबों के सपनों को कुचल दिया।
मंत्री जी का गुस्सा, अफसरों में हड़कंप
जब ये सारा खेल समीक्षा में खुला, तो मंत्री संजय सरावगी ने तुरंत दोनों अफसरों को निलंबित कर दिया। विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने भी सख्ती दिखाते हुए सभी जिलाधिकारियों को आदेश दिया कि अयोग्य ठहराए गए परिवारों की जांच वरीय अधिकारियों से तुरंत कराई जाए। साथ ही, इन परिवारों को जल्द से जल्द वास भूमि आवंटित करने का फरमान जारी किया।
अब विभाग में हड़कंप मचा है। जो अफसर कल तक फाइलों पर कुंडली मारकर बैठे थे, वो अब आनन-फानन में गलतियों को सुधारने की जुगत में लग गए हैं। कोई फाइलें खंगाल रहा है, तो कोई पुराने सर्वे को 'दुरुस्त' करने की कोशिश में जुटा है। लेकिन सवाल ये है कि क्या ये हड़बड़ी उन गरीबों का हक लौटा पाएगी, जिन्हें बरसों से सिर्फ कागजों पर 'अयोग्य' बनाकर ठगा गया?
तो क्या है इस कहानी का सबक?
ये सनसनीखेज प्रकरण बताता है कि सिस्टम में बैठे कुछ 'निखिल' और 'नागेंद्र' गरीबों के हक को कुचलने में कोई कसर नहीं छोड़ते। अगर आपको लगता है कि ये कहानी यहीं खत्म हो गई, तो रुकिए! अगली समीक्षा बैठक में कौन सा अफसर 'निलंबन का तमगा' जीतेगा, ये देखना अभी बाकी है!