Bihar Politics: बिहार में SIR को लेकर सियासी भूचाल, कांग्रेस ने लगाया गंभीर आरोप, 65 लाख नाम काटना चुनावी साजिश

Bihar Politics: बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण को लेकर सियासी भूचाल जारी है। विपक्ष सरकार और चुनाव आयोग में एक के बाद एक कई आरोप लगा रहे हैं। इसी बीच कांग्रेस ने आयोग से कई सवाल पूछा है।

Congress attacks SIR
Congress attacks SIR - फोटो : social media

Bihar Politics:  बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR)का पहला ड्राफ्ट लिस्ट चुनाव आयोग ने जारी कर दिया है। जिसके बाद से ही सियासी हलचल तेज है। वहीं अब इसको लेकर कांग्रेस ने सोमवार को जोरदार प्रेस वार्ता कर चुनाव आयोग पर सवालों की झड़ी लगा दी। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम, पूर्व अध्यक्ष मदन मोहन झा और वरिष्ठ नेता प्रवण झा ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि मतदाता सूची से 65 लाख नाम हटाना संदेह के घेरे में है। कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने जिन मतदाताओं को मृतक या अनुपस्थित मानकर सूची से हटाया, उनकी विस्तृत और प्रमाणिक सूची सार्वजनिक नहीं की गई है। आयोग की वेबसाइट पर इसका कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं है।

जीवित को भी बताया मृत

प्रवण झा ने उदाहरण देते हुए कहा कि नालंदा में एक ही बूथ से कई लोगों का नाम केवल मृत्यु के आधार पर हटा दिया गया। यहां तक कि जो जीवित हैं उनको भी मृत बताकर नाम काट दिया गया है। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों से चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल खड़ा होता है। यह साफ संकेत है कि SIR की पूरी प्रक्रिया में भारी गड़बड़ी है।

तेजस्वी यादव खुद देंगे जवाब

तेजस्वी यादव के दो EPIC ID को लेकर पूछे गए सवाल पर कांग्रेस नेताओं ने कहा कि मीडिया में जो चल रहा है उसका जवाब तेजस्वी यादव खुद देंगे, लेकिन असली सवाल SIR प्रक्रिया को लेकर है। जिसमें विपक्ष के वोटर टारगेट किए जा रहे हैं।

दाल में काला है

राजेश राम ने कहा कि अगर मतदाता सूची को दुरुस्त करना था तो सभी राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों से चर्चा की जानी चाहिए थी। लेकिन, आयोग ने अकेले निर्णय लेकर कार्रवाई की, जिससे यह संदेह पैदा होता है कि 'दाल में जरूर काला है'। उन्होंने सवाल उठाया कि जब SIR प्रक्रिया शुरू भी नहीं हुई थी, तब आयोग को कैसे पता चल गया कि 20% नाम काटे जाएंगे? क्या यह पहले से तय था?”

 सरकार और पीएम को सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा नहीं”

मदन मोहन झा ने कहा कि सरकार को अगर अपने कदम पर भरोसा है तो विपक्ष से डर क्यों? यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार और खुद प्रधानमंत्री को भी सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों पर भरोसा नहीं रहा। उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आधार के इस्तेमाल की सलाह दी थी, लेकिन आयोग ने उसे भी नजरअंदाज कर दिया।

“बिहार लोकतंत्र की जननी है, यहीं से बदलाव शुरू होता है”

प्रवण झा ने अंत में कहा कि बिहार लोकतंत्र की जननी है, यहीं से बदलाव की लहर उठती है। यदि IAS अधिकारी तक का नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया गया है, तो आम नागरिकों की स्थिति का अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है। कांग्रेस ने आयोग से SIR प्रक्रिया को पारदर्शी करने, हटाए गए नामों की सार्वजनिक सूची जारी करने और सभी दलों से संवाद की मांग की है।

पटना से नरोत्तम की रिपोर्ट