Bihar Politics: बिहार कांग्रेस को बड़ा झटका, वरिष्ठ नेता ने छोड़ा साथ, थामेंगे सीएम नीतीश का हाथ, सियासी पारा हाई

Bihar Politics: बिहार कांग्रेस को विधानसभा चुनाव से पहले बड़ा झटका लगा है, पार्टी के वरिष्ठ नेता ने जदयू का दामन थाम लिया है।

डॉ. अशोक राम
कांग्रेस को बड़ा झटका - फोटो : social media

Bihar Politics:  बिहार विधानसभा चुनाव से पहले कई राजनीतिक दलों में उथल-पुथल मच गई है। कई राजनेता एक पार्टी को छोड़ दूसरी पार्टी का दामन थाम रहे हैं। कभी सत्ता पक्ष के नेता विपक्ष का दामन थाम रहे तो कभी विपक्ष के नेता सत्ता पक्ष का। वहीं जनसुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर की पार्टी में भी कई नेता शामिल हो रहे हैं। इसी कड़ी में एक और नेता ने पाला बदलने का मन बना लिया है। इस बार चुनाव से  पहले बिहार कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और दलित वर्ग का प्रमुख चेहरा माने जाने वाले डॉ. अशोक कुमार राम अब कांग्रेस छोड़कर जनता दल यूनाइटेड (JDU) का दामन थामने जा रहे हैं।

जदयू में होंगे शामिल 

डॉ. अशोक राम आज पटना स्थित जदयू के प्रदेश कार्यालय में पार्टी की सदस्यता ग्रहण करेंगे। इस मौके पर जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा, प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा, मंत्री विजय कुमार चौधरी और रत्नेश सदा मौजूद रहेंगे। सूत्रों के अनुसार, अशोक राम पहले ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात कर चुके हैं और अब केवल उनके जदयू में शामिल होने की औपचारिक घोषणा शेष रह गई है।

कौन हैं डॉ. अशोक राम?

डॉ. अशोक राम बिहार कांग्रेस के वरिष्ठ और प्रभावशाली नेताओं में शामिल हैं। वर्तमान में वह बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष हैं। वे अब तक छह बार विधायक रह चुके हैं और कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य भी रह चुके हैं। पूर्व में वे राज्य सरकार में मंत्री और कांग्रेस विधायक दल के नेता के तौर पर भी अपनी भूमिका निभा चुके हैं। विशेष रूप से, वे कांग्रेस में दलित समुदाय की मजबूत आवाज माने जाते थे।

कांग्रेस नेतृत्व से नाराजगी बनी वजह

कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, डॉ. अशोक राम पार्टी नेतृत्व से काफी समय से नाराज चल रहे थे। जब से कृष्णा अल्लावरू को बिहार कांग्रेस का प्रभारी बनाया गया, अशोक राम खुद को पार्टी में हाशिये पर महसूस करने लगे थे। उनकी वरिष्ठता के बावजूद उन्हें महत्वपूर्ण निर्णयों और बैठकों से दूर रखा जाने लगा।

प्रदेश अध्यक्ष से भी नाराजगी 

पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष के रूप में उसी जातीय समुदाय से आने वाले राजेश राम को नियुक्त किया, जिससे अशोक राम की असहजता और बढ़ गई। यह निर्णय उनके आत्मसम्मान और राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं पर चोट करता नजर आया। ऐसे में उन्होंने अपने राजनीतिक भविष्य के लिए नया विकल्प तलाशना शुरू किया, और अब उन्हें जदयू में संभावनाएं दिख रही हैं। डॉ. अशोक राम की जदयू में एंट्री को पार्टी के लिए सामाजिक समीकरणों में मजबूती के तौर पर देखा जा रहा है। दलित समुदाय में उनकी पकड़ और लोकप्रियता का फायदा नीतीश कुमार की पार्टी को आगामी चुनावों में मिल सकता है।