Patna University News: पटना कॉलेज में नियुक्ति पर विवाद, सहायक प्रोफेसर बने प्राचार्य, चयन प्रक्रिया पर उठे सवाल
बिहार की उच्च शिक्षा व्यवस्था एक बार फिर विवादों में है ।इस बार मुद्दा पटना विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित पटना कॉलेज में प्राचार्य पद पर डॉ. अनिल कुमार की नियुक्ति को लेकर है।...

Patna University News:बिहार की उच्च शिक्षा व्यवस्था एक बार फिर विवादों में है ।इस बार मुद्दा पटना विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित पटना कॉलेज में प्राचार्य पद पर डॉ. अनिल कुमार की नियुक्ति को लेकर है। यह मामला न केवल न्युक्ति प्रक्रिया की पारदर्शिता, बल्कि संवैधानिक मानकों और योग्यता की कसौटी पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।कुछ महीने पहले बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग द्वारा रसायन विज्ञान के सहायक प्रोफेसर पद के लिए डॉ. अनिल कुमार के नाम की सिफारिश की गई थी। लेकिन 24 मार्च को दस्तावेज़ सत्यापन के दिन वे अनुपस्थित रहे, और अब वही व्यक्ति प्राचार्य पद पर पोस्ट किए जा रहे हैं, वह भी 1863 में स्थापित पटना कॉलेज जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में।
डॉ. कुमार ने दावा किया है कि उन्होंने उत्तर प्रदेश के झाँसी स्थित बिपिन बिहारी कॉलेज में 27 वर्षों तक पढ़ाया और वह प्रोफेसर के पद तक पदोन्नत हो चुके हैं। दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने सहायक प्रोफेसर और प्राचार्य दोनों पदों के लिए आवेदन किया, जबकि नियम यह स्पष्ट करते हैं कि वरिष्ठ रैंक वाला व्यक्ति जूनियर कैडर में नियुक्त नहीं हो सकता, जब तक कि वह अपने अनुभव को छुपा न ले।
पूर्व प्राचार्य तरुण कुमार और एनके चौधरी जैसे शैक्षणिक हस्तियों ने इस प्रक्रिया की वैधता पर प्रश्न उठाते हुए कहा है कि "एक व्यक्ति जो एसोसिएट प्रोफेसर या प्रोफेसर है, वह सहायक प्रोफेसर जैसे कनिष्ठ पद के लिए कैसे पात्र हो सकता है?" "यदि उन्होंने पहले ही वरिष्ठ पद के लिए आवेदन किया है, तो जूनियर कैडर में उनका चयन विरोधाभासी है।"
प्राचार्य पदों की नियुक्ति लॉटरी प्रणाली से की गई, जिससे कुलपतियों की भूमिका गौण हो गई। इससे विश्वविद्यालय प्रशासन में कुलाधिपति बनाम कुलपति के अधिकार क्षेत्र को लेकर बहस फिर से ज़ोर पकड़ रही है।