112 वर्ष पुराने श्रीकृष्ण गौशाला मोकामा में शुरू हुआ ‘गौशाला में दान अभियान’, गौवंश संरक्षण की अनोखी पहल

112 वर्ष पुराने श्रीकृष्ण गौशाला द्वारा गौशाला में दान अभियान शुरू किया गया है. गौवंश संरक्षण की यह अनोखी पहल पटना जिले के मोकामा में हुई है.

Shri Krishna Gaushala Mokama
Shri Krishna Gaushala Mokama- फोटो : news4nation

Bihar News :  श्रीकृष्ण गौशाला के कार्यकारिणी एवं संरक्षक सदस्यों का मोकामा बाजार में "गौशाला में दान अभियान" की शुरुआत की. सचिव चंदन कुमार ने बताया किसामाजिक पहल से वर्ष 1913 ई० में स्थापित और 1952 ई० में बिहार सरकार में निबंधित श्री कृष्ण गौशाला आज तक केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा किसी तरह के वित्तीय अनुदान से वंचित रही है, यह पूर्णतः सामाजिक अनुदान पर निर्भर है। बहुविध कारणों से लगभग तीन दशक से अधिक समय तक बंद रहने के बाद वर्ष 2023 में यह संस्था पुनर्संचालित तो हो गयी है, परन्तु वित्तीय स्थिति कमजोर होने के कारण सामाजिक अंशदान से ही गौवंशियों का भरण-पोषण संभव है।


इसी के तहत गौशाला में दान अभियान" की शुरुआत की गई है. अरुण कुमार कोषाध्यक्ष की अध्यक्षता में एवं संरक्षक सदस्य बबन सिंह और रामेश्वर के दिशानिर्देश पर मोकामा बाजार से अभियान की शुरुआत की गई । इस दौरान दुकानदारों और स्थानीय लोगों ने बढ़ चढ़कर दान दिया.चंदन कुमार ने आगे बताया कि आगामी योजनाओं के तहत एक ई-रिक्शा आधारित अंशदान प्रणाली शुरू की जाएगी, जो प्रत्येक मोहल्ले में जाएगी। इस रिक्शे में तीन बॉक्स होंगे — एक में अनाज, दूसरे में रोटियां, और तीसरे में नकद दान जमा किया जा सकेगा।


दरअसल, गौशाला में दान का महत्व धार्मिक, आध्यात्मिक और सामाजिक रूप से है, क्योंकि यह गायों को आश्रय, भोजन और चिकित्सा देखभाल प्रदान करता है और अहिंसा के मूल्यों को बढ़ावा देता है। इसके धार्मिक महत्व में देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त करना, मृत्यु के बाद वैतरणी नदी को पार करना और पूर्व जन्म के दोषों को दूर करना शामिल है। दान से गायों के कल्याण के साथ-साथ ग्रामीण समुदायों को आर्थिक लाभ और लोगों को रोजगार मिलता है. ऐसे में 112 वर्ष पुराने श्रीकृष्ण गौशाला की गौशाला में दान अभियान को लोगों का जोरदार समर्थन मिला है. 

 

गौशाला की ओर से अपील की गई कि श्री कृष्ण गौशाला, मोकामा उन तमाम लोगों से जो भी श्राद्ध कर्म/मांगलिक कार्य या अन्य किसी तरह के आयोजन में व्यय कर रहें हैं तो सनातन संस्कृति के अनुसार गौवंशियों के लिए उनका अंश समर्पित कर पुण्य और सहयोग के भागी बन सकते हैं.