Bihar Vidhansabha Election: विपक्ष के आरोपों पर भड़का निर्वाचन आयोग, बिहार विधानसभा चुनाव से पहले बड़ी योजना बनकर तैयार, अब ऐसे होगी जांच

Bihar Vidhansabha Election: निर्वाचन आयोग पर आए दिन विपक्ष के द्वारा कई आरोप लगाए जाते हैं। जिसको लेकर ईसी ने बड़ा बयान दिया है। साथ ही निर्वाचन आयोग ने बड़ी तैयारी भी कर ली है।

निर्वाचन आयोग
निर्वाचन आयोग की बड़ी तैयारी - फोटो : social media

Bihar Vidhansabha Election: आगामी बिहार विधानसभा चुनाव से पहले भारत निर्वाचन आयोग मतदाता सूची को अधिक सटीक और त्रुटिरहित बनाने के लिए गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया की तैयारी कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक, आयोग इस बार घर-घर जाकर व्यापक सत्यापन कराने पर विचार कर रहा है ताकि सूची में मौजूद सभी नामों की प्रामाणिकता सुनिश्चित की जा सके।

राजनीतिक दलों की आपत्तियों के बाद कड़ा रुख

हाल के दिनों में कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने मतदाता सूची में नामों के मनमाने ढंग से जोड़े जाने या हटाए जाने को लेकर चुनाव आयोग पर पक्षपातपूर्ण रवैये का आरोप लगाया है। कुछ दलों ने तो आयोग पर बीजेपी की मदद करने तक के आरोप लगाए हैं। इन आरोपों के बीच निर्वाचन आयोग पारदर्शिता को लेकर पहले से अधिक सतर्क नजर आ रहा है। चुनाव आयोग के अधिकारियों ने सफाई दी कि मतदाता सूची के पुनरीक्षण की प्रक्रिया पूर्व निर्धारित प्रोटोकॉल और राजनीतिक दलों की निगरानी के तहत होती है फिर भी अक्सर बेबुनियाद आरोप लगाए जाते हैं जो दुर्भाग्यपूर्ण है।

2004 के बाद पहली बार संभावित गहन पुनरीक्षण

सूत्रों के अनुसार, अगर यह योजना लागू होती है तो 2004 के बाद पहली बार बिहार में मतदाता सूची का इतना व्यापक और गहन सत्यापन किया जाएगा। इसके अंतर्गत बूथ स्तर के अधिकारी हर घर जाकर मतदाताओं की उपस्थिति और पहचान की पुष्टि करेंगे।

संवैधानिक प्रावधानों के तहत होगी प्रक्रिया

निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया है कि मतदाता पंजीकरण और अयोग्यता से संबंधित प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 326 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 16 के तहत निर्धारित हैं। आयोग इन्हीं कानूनी दिशा-निर्देशों के अनुसार काम करता है और कोई भी संशोधन उसी प्रक्रिया के तहत किया जाता है।

3.15 करोड़ बदलावों की पृष्ठभूमि में सटीकता की आवश्यकता

वर्ष 2024 के आंकड़ों के अनुसार, आयोग को देशभर से 46.26 लाख लोगों ने निवास परिवर्तन के लिए आवेदन किया। 2.32 करोड़ मतदाताओं ने अपने विवरणों में सुधार की मांग की तो वहीं 33.16 लाख मतदाताओं ने प्रतिस्थापन के लिए अनुरोध किया। इस तरह एक ही साल में करीब 3.15 करोड़ संशोधनों की जरूरत पड़ी। जिससे स्पष्ट है कि मतदाता सूचियों को अद्यतन रखना एक जटिल लेकिन अत्यंत आवश्यक कार्य है।

बदलावों की नियमित प्रकिया

मृत्यु, स्थानांतरण, और नए मतदाताओं के जुड़ने के चलते मतदाता सूची में नियमित रूप से संशोधन होता है। लेकिन अब आयोग की मंशा है कि अंतिम सूची चुनाव से पहले एकदम त्रुटिरहित हो, ताकि किसी तरह की गड़बड़ी या विवाद की गुंजाइश न रहे।