Tejashwi yadav On etawah kathavachak: इटावा कथावाचक के साथ हुई मारपीट पर तेजस्वी यादव ने दी प्रतिक्रिया, कहा- 'सत्ता में जो लोग आज काबिज हैं वे गोडसे....'
Tejashwi yadav On etawah kathavachak: इटावा में कथावाचक पर जातिगत आधार पर हमला अब सियासी मुद्दा बन गया है। तेजस्वी यादव ने बीजेपी पर हमला करते हुए ‘गोडसे मुर्दाबाद’ बोलने की चुनौती दी।

Tejashwi yadav On etawah kathavachak: उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में 21 जून को आयोजित भागवत कथा कार्यक्रम के दौरान, कथावाचकों की जाति को लेकर विवाद हो गया।कुछ ग्रामीणों ने कथावाचकों पर आरोप लगाया कि वे ब्राह्मण न होते हुए भी खुद को ब्राह्मण बताकर कथा कर रहे थे। इसके बाद कथावाचकों के साथ कथित रूप से मारपीट और दुर्व्यवहार किया गया।यह मामला अब सिर्फ स्थानीय नहीं रहा, बल्कि जातिगत असमानता, धार्मिक अधिकारों, और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का विषय बन चुका है।
तेजस्वी यादव की एंट्री: “गोडसे मुर्दाबाद बोलकर दिखाएं”
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता और बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने इस मामले पर बुधवार को तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि कथा कहने का हक सभी को है, क्या पिछड़ा, अतिपिछड़ा कथावाचक नहीं बन सकता? क्या हम लोग हिंदू नहीं हैं कि भगवान की कथा कहें?”तेजस्वी ने सीधे बीजेपी को निशाने पर लेते हुए कहा कि सत्ता में जो लोग बैठे हैं वे गोडसे के पुजारी हैं। अगर ऐसा नहीं है तो ‘गोडसे मुर्दाबाद’ बोलकर दिखाएं।”
धार्मिक अधिकार बनाम जातीय परंपराएं
यह मामला एक बड़े सवाल की ओर इशारा करता है कि क्या धार्मिक गतिविधियों में भागीदारी के लिए जाति आज भी एक बाधा है?भारत में सदियों से कथावाचन, पूजा-पाठ और मंदिर सेवा को विशेष जातियों तक सीमित माना गया है। हालांकि संविधान और सामाजिक सुधारों के बावजूद, ग्रामीण क्षेत्रों में यह सोच अभी भी मौजूद है।तेजस्वी यादव जैसे नेताओं के बयान इस सोच को चुनौती देते हैं और धार्मिक अधिकारों को समतामूलक बनाने की दिशा में बहस को आगे ले जाते हैं।