Bihar Vidhansabha Chunav 2025 : 100 घंटे बाद भी नहीं टूट रही ‘छोटे सरकार’ की चुप्पी, आखिर एक अन्ने मार्ग में पिलाई गयी कौन सी घुट्टी, जानिए सबकुछ...
Bihar Vidhansabha Chunav 2025 : पिछ्ले एक सौ घंटों से छोटे सरकार ने सार्वजनिक तौर पर कुछ नहीं बोला है. न ही वे मीडिया के सामने आये हैं और न ही सोशल मीडिया में....जानिए अनंत सिंह की चुप्पी का राज

PATNA : एक सौ से अधिक घंटे गुजर चुके हैं। लेकिन ‘छोटे सरकार’ की चुप्पी नहीं टूट रही है। जी हाँ, पिछले 100 घंटे से छोटे सरकार चुप हैं। वहीँ मोकामा वाले छोटे सरकार यानी अनंत सिंह। पिछले दिनों अनंत सिंह जेल से रिहा होकर बाहर आये तो पटना से लेकर मोकामा तक दहाड़ते नजर आये। दावा किया की सीएम नीतीश की पार्टी से वे मोकामा से चुनाव लड़ेंगे। पत्रकारों ने पूछा की पत्नी को क्यों नहीं लड़ायेंगे तो उन्होंने पत्नी को ‘खचड़ीन’ तक कह दिया। कहा की उसने कोई काम नहीं किया है। न ही कार्यकर्ताओं से कभी मिलती थी। इसके बाद पटना में दिनभर उनके आवास पर पत्रकारों का तांता लगा रहा। बिहार की सियासत से लेकर उनकी साढ़े तीन करोड़ की गाडी तक चर्चा में रही।
लेकिन जेल से निकले अभी छोटे सरकार को 48 घंटे भी नहीं बीते थे की बड़े सरकार का बुलावा आ गया। रक्षाबंधन के मौके पर बहनें जहाँ भाई के कलाई पर राखी बांधकर रक्षा का वचन ले रही थी। नीतीश कुमार के किसी वचन ने छोटे सरकार की बोलती बंद कर दी। एक अन्ने मार्ग से निकलने के बाद दिनभर पत्रकारों के सवालों का जवाब छोटे-छोटे वाक्यों में देनेवाले अनंत सिंह रुके तक नहीं और सरपट निकल गए। इसके बाद से ही अनंत सिंह के मुंह पर ताला लग गया। न ही सोशल मीडिया में उनकी कोई नयी रिल्स देखने को मिल रही हैं और न ही उनका कोई ‘संक्षिप्त’ बाईट।
अब आपको बताते हैं की आखिर बड़े सरकार ने क्या कहा की अनंत सिंह चुप हो गए। किसी ने अंदाज़ा लगा लिया की उनको टिकट देने से मना कर दिया गया है। कभी कयास लगाया गया की उनकी पत्नी को ही आलाकमान ‘पीला लिफाफा’ देना चाहते हैं। लेकिन विश्वस्त सूत्र बताते हैं की ऐसा कुछ नहीं है।
दरअसल अनंत सिंह से कहा गया की फिलहाल टिकट के मामले पर कुछ न बोले और मीडिया के सामने अनाप शनाप बोलने से दुरी बनाये रखे। चुपके से जानकारी दी गयी की मोकामा सीट फिलहाल किसके खाते में जाएगी। यह अभी तक तय नहीं है। क्योंकि इस पर चिराग पासवान की भी नजर हैं। जबकि बीजेपी से सवाल उठ सकता हैं की जब सरकार को समर्थन देने का अवार्ड मोकामा में अनंत सिंह को मिल सकता है तो फिर सूर्यगढ़ा में प्रहलाद यादव को क्यों नहीं? जबकि ललन सिंह पहले ही कह चुके हैं की यह सीट जदयू की है। यहाँ से किसी भी कीमत पर लखीसराय के आतंक को टिकट नहीं दिया जायेगा। उनका सीधा इशारा प्रह्लाद यादव की तरफ माना जा सकता है।