Patna High Court: एमबीबीएस परीक्षा में फर्जीवाड़ा, पटना हाईकोर्ट ने बेतिया मेडिकल कॉलेज के छात्रों को अंतरिम राहत देने से किया इनकार
Patna High Court:पटना हाईकोर्ट ने सरकारी मेडिकल कॉलेज, बेतिया में एमबीबीएस के तीसरे वर्ष की परीक्षा में परीक्षार्थी के बदले अन्य व्यक्ति के बैठने से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए अंतरिम राहत देने से इंकार किया।

Patna High Court:पटना हाईकोर्ट ने सरकारी मेडिकल कॉलेज, बेतिया में एमबीबीएस के तीसरे वर्ष की परीक्षा में परीक्षार्थी के बदले अन्य व्यक्ति के बैठने से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए अंतरिम राहत देने से इंकार किया।हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव और आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति को अगली सुनवाई में जवाब देने का निर्देश दिया है।
अरविन्द कुमार व अन्य की याचिकायों पर जस्टिस पार्थ सारथी ने सुनवाई की।इस मामलें की अगली सुनवाई 20 जून,2025 को होगी।
ये मामला अरविंद कुमार और बेतिया के सरकारी कॉलेज के चार अन्य छात्रों का प्रवेश पिछले साल नवंबर में रद्द किये जाने से जुड़ा है। उन पर तीसरे साल की एमबीबीएस परीक्षा में मूल छात्रों की जगह दूसरे छात्रों को बैठाने का आरोप था
याचिकाकर्ता के वकील रामचंद्र सिंह ने बताया कि अगली एमबीबीएस परीक्षा 4 जून,2025 से ही प्रारम्भ होने वाली है, इसलिए याचिकाकर्ता को परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाए।
इस सम्बन्ध में एक आदेश भवेश कुमार भास्कर एक आदेश का प्रति कोर्ट के समक्ष रखा गया, जिसमें ऐसे कुछ छात्रों को परीक्षा में बैठने की अनुमति दी गई थी।
राज्य सरकार के अधिवक्ता प्रशांत प्रताप ने इसका विरोध करते हुए कहा कि मेडिकल परीक्षा में नकल करना समाज के खिलाफ एक गंभीर अपराध है। इससे सार्वजनिक सुरक्षा को खतरा है।डॉक्टर हमारे जीवन रक्षक हैं और अनुचित तरीकों से पास आउट होने वाले किसी भी डॉक्टर के कारण आने वाली पीढ़ियों को परेशानी उठानी पड़ेगी।
सरकारी अधिवक्ता प्रशांत प्रताप ने पक्ष प्रस्तुत करते हुए कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता ने अपने कारण बताओ जवाब में खुद स्वीकार किया है कि उनके स्थान पर ईएनटी पेपर की तीसरे वर्ष की मेडिकल परीक्षा में एक अन्य छात्र बैठा था। इसलिए उसे कोई राहत नहीं दी जानी चाहिए।
याचिकाकर्ता द्वारा अंतरिम आदेश राहत को अलग करते हुए उन्होंने कहा कि आदेश में कुछ मेडिकल छात्रों को केवल इस आधार पर अंतरिम राहत दी गई थी कि आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय पटना को दो बार आदेश दिया गया था। लेकिन कोई जवाब दाखिल नहीं किया गया।
इस मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए अदालत ने बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वे विश्वविद्यालय को विस्तृत जवाब दाखिल करने के वर्तमान आदेश से अवगत कराएं।इस मामलें की अगली सुनवाई 20जून, 2025 को होगी।