Independence Day 2025: आतंक के आकाओं को दिया करारा जवाब, लालकिले से पीएम मोदी का ऑपरेशन सिंदूर पर बड़ा बयान
प्रधानमंत्री ने गर्व से कहा, "हमारे वीरों ने इस क्षण को उनकी कल्पना से भी परे सजा दिया।" उन्होंने पहलगाम में सीमा पार से आए आतंकियों द्वारा किए गए निर्दय हत्याकांड का ज़िक्र किया, जहां धर्म पूछ-पूछकर निर्दोषों का कत्लेआम किया गया। ...

Independence Day 2025: भारत आज अपनी आज़ादी की 79वीं सालगिरह मना रहा है, और लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संबोधन इस ऐतिहासिक दिन को और भी यादगार बना गया। तिरंगा फहराने के बाद देश को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आज का दिन केवल स्वतंत्रता दिवस ही नहीं, बल्कि ऑपरेशन सिंदूर के वीर जांबाज़ों को सलामी देने का भी अवसर है।
प्रधानमंत्री ने गर्व से कहा, "हमारे वीरों ने इस क्षण को उनकी कल्पना से भी परे सजा दिया।" उन्होंने पहलगाम में सीमा पार से आए आतंकियों द्वारा किए गए निर्दय हत्याकांड का ज़िक्र किया, जहां धर्म पूछ-पूछकर निर्दोषों का कत्लेआम किया गया। उन्होंने कहा कि उस समय पूरा हिंदुस्तान आक्रोश से भरा था, और सरकार ने सेना को पूरी छूट दे दी थी। परिणामस्वरूप, पाकिस्तान में ऐसी तबाही मची कि आज भी नए-नए खुलासे हो रहे हैं।
आतंकियों और उनके आकाओं को पीएम मोदी ने साफ चेतावनी दी कि अगर दुश्मनों ने फिर कोई हरकत की, तो हमारी सेना चुप नहीं बैठेगी, मुंहतोड़ जवाब देगी।
प्रधानमंत्री का लालकिले से भाषण केवल सुरक्षा और आतंकवाद तक सीमित नहीं रहा, बल्कि उन्होंने भारत के संविधान निर्माण की गौरवगाथा भी सुनाई। महात्मा गांधी के सिद्धांतों पर चलते हुए संविधान समिति ने जो कार्य किया, उसमें पंडित नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, डॉ. राजेंद्र प्रसाद और देश की नारी शक्ति के योगदान को उन्होंने विशेष नमन किया।
उन्होंने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 125वीं जयंती का ज़िक्र करते हुए कहा कि वे भारत के संविधान के लिए बलिदान देने वाले पहले महापुरुष थे। "जब हमने अनुच्छेद 370 हटाया, तो यह मुखर्जी जी के सपनों को साकार करने की सच्ची श्रद्धांजलि थी।"
लालकिले के प्रांगण में इस बार भी देश के कोने-कोने से आए विशेष अतिथि मौजूद थे गांवों के पंचायत प्रतिनिधि, ‘लखपति दीदी’ योजना से जुड़ी महिलाएं, खेल जगत के सितारे और विभिन्न क्षेत्रों के प्रेरणादायक लोग। प्रधानमंत्री ने कहा कि चाहे समंदर का तट हो या हरे-भरे खेत, देश के हर कोने से मातृभूमि का जयगान सुनाई दे रहा है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि प्रकृति हमारी परीक्षा ले रही है। हम प्राकृतिक आपदाएं झेल रहे हैं। उन्होंने कहा कि पीड़ितों के साथ हमारी संवेदनाएं हैं। राज्य और केंद्र सरकार बचाव और राहत कार्य में जुटी है।
अपने भाषण के अंत में पीएम मोदी ने 1947 की आज़ादी के समय की परिस्थितियों को याद किया—“सन 47 में, अनंत संभावनाओं और करोड़ों भुजाओं की ताकत के साथ हमारा देश आज़ाद हुआ था। देश की आकांक्षाएं ऊंची उड़ान भर रही थीं, लेकिन चुनौतियां उससे कहीं बड़ी थीं।"
लालकिले की प्राचीर से गूंजा यह संबोधन न केवल आज़ादी के जश्न का प्रतीक है, बल्कि देश की एकता, सुरक्षा और विकास के संकल्प का भी ऐलान है। तिरंगे के साए में यह संदेश साफ है भारत अपनी सरहदों और सम्मान की रक्षा के लिए हर क़दम पर तैयार है।