Bihar News : राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने आचार्य किशोर कुणाल को अर्पित की भावभीनी श्रद्धांजलि, 'सामाजिक समरसता’ की बताया मिसाल

Bihar News : राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने आचार्य किशोर कुणाल

PATNA : बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने आज पटना स्थित आचार्य किशोर कुणाल के आवास पर पहुँचकर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान राज्यपाल ने आचार्य कुणाल के व्यक्तित्व को याद करते हुए उनके चित्र पर पुष्प अर्पित किए। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि खराब मौसम और कोहरे के कारण वे 18 तारीख को मुजफ्फरपुर के बरूराज में आयोजित बरसी कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सके थे और आगामी 29 तारीख को होने वाले मुख्य कार्यक्रम के समय राज्य से बाहर होने के कारण उन्होंने आज ही अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की है।

सामाजिक समरसता के प्रणेता थे आचार्य कुणाल

श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद राज्यपाल ने आचार्य किशोर कुणाल को एक महान दूरदर्शी व्यक्तित्व बताया। उन्होंने कहा कि आचार्य कुणाल ने न केवल एक कुशल अधिकारी के रूप में अपनी सेवाएं दीं, बल्कि एक समाजसेवक के रूप में बिहार में सामाजिक समरसता और भाईचारे की जो मिसाल कायम की, वह अद्वितीय है। राज्यपाल ने जोर देकर कहा कि उनकी विरासत को युगों-युगों तक याद रखा जाएगा और आने वाली पीढ़ियों को उनके महान जीवन से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है।

परिजनों से मिलकर व्यक्त की संवेदना 

इस भावपूर्ण अवसर पर राज्यपाल ने आचार्य किशोर कुणाल के परिवार के सदस्यों से मुलाकात कर अपनी संवेदनाएं प्रकट कीं। उन्होंने आचार्य कुणाल की धर्मपत्नी अनीता कुणाल, उनके पुत्र सायण कुणाल और पुत्रवधू शांभवी से बातचीत की। राज्यपाल ने परिवार के साथ आचार्य कुणाल के सामाजिक और सांस्कृतिक योगदानों पर चर्चा करते हुए उनके कार्यों की सराहना की।

कई गणमान्य लोग रहे उपस्थित 

श्रद्धांजलि सभा के दौरान आवास पर कई प्रतिष्ठित व्यक्ति मौजूद थे। इनमें विधान परिषद सदस्य विजय सिंह, नागरिक परिषद के महासचिव अरविन्द कुमार सिंह उर्फ़ छोटू सिंह और महावीर संस्थान के कई कर्मचारी शामिल रहे। सभी उपस्थित लोगों ने आचार्य कुणाल के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट की और समाज के प्रति उनके निस्वार्थ समर्पण को याद किया।

नई पीढ़ी के लिए प्रेरणापुंज

अपने संबोधन के अंत में राज्यपाल ने कहा कि आचार्य कुणाल का जीवन अनुशासन और सेवा का संगम था। उन्होंने जिस तरह से समाज के हर वर्ग को साथ लेकर चलने का प्रयास किया, वह आज के समय में अत्यंत प्रासंगिक है। उनके द्वारा स्थापित संस्थाएं और किए गए सुधार कार्य बिहार के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज रहेंगे।