Patna highcourt - राज्य में मानसिक रोग के अध्ययन और इलाज के लिए कॉलेज नहीं, न ही मनोचिकित्सक की हुई नियुक्ति, पटना हाईकोर्ट के दौरान सामने आई रिपोर्ट
Patna highcourt - बिहार में मानसिक रोगियों के अध्ययन और इलाज के लिए एक भी मनोचिकित्सक नहीं है। न ही कोई सुविधा है। पटना हाईकोर्ट ने इस मामले में रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है।

Patna - पटना हाइकोर्ट में बिहार राज्य में मानसिक स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधाओं से सम्बंधित मामलें पर सुनवाई 16 मई, 2025 तक टल गयी। एक्टिंग चीफ जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ द्वारा आकांक्षा मालवीय की जनहित याचिका पर सुनवाई की जा रही है ।
पिछली सुनवाई में कोर्ट को बताया गया था कि सारण प्रमंडल में न तो कोई मेडिकल कालेज है और न ही मनोचिकित्सक है। ये बताया गया कि सभी प्रमण्डलों में मेडिकल हेल्थ रिव्यू बोर्ड का गठन हो चुका है। पिछली सुनवाई में राज्य सरकार ने एक हलफ़नामा दायर कर प्रगति रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत किया था।इसमें ये बताया गया कि स्टेट मेन्टल हेल्थ ट्रैब्यूनल के लिए चालीस लाख रुपए आवंटित किये गये है। मेन्टल हेल्थ रिव्यू बोर्ड को फंड दिये जाने के मामले में सरकार ने बताया कि विभागीय स्तर पर प्रक्रिया जारी है।
कोर्ट को ये भी बताया गया कि मनोविशेषज्ञों के आठ स्वीकृत पद है,जो कि सभी रिक्त पड़े है । मेडिकल ऑफिसर के 214 पदों में से 123 रिक्त है। कोर्ट को राज्य सरकार की ओर से जानकारी दी गई कि मरीजों की कॉउंसलिंग के लिए एन आई एम एच ए एन एस के सहयोग से 477 प्रीजन स्टाफ और अधिकारीगण है।
कोर्ट ने इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मेन्टल हेल्थ रिव्यू बोर्ड के रिपोर्ट याचिकाकर्ता, केंद्र व राज्य सरकार को देने का निर्देश दिया था। राज्य के विभिन्न जिलों में मेन्टल हेल्थ रिव्यू बोर्ड क गठन किया गया था।इसमें सम्बन्धित जिला जजों की ओर से रिपोर्ट भेजा जाना था। याचिकाकर्ता की अधिवक्ता आकांक्षा मालवीय ने जानकारी दी थी कि सभी जगहों से रिपोर्ट आ चुका है। दरभंगा से भी रिपोर्ट आ चुका है। उन्होंने बताया कि अगली सुनवाई में राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत तथ्यों का जवाब देने के लिए मोहलत कोर्ट ने दिया है।
अधिवक्ता आकांक्षा मालवीय ने बताया कि विभिन्न जिलों से आयी रिपोर्टों का अभी अध्ययन होगा।उन्होंने बताया कि इस मामलें में राज्य सरकार ने काफी कार्रवाई की है। केवल फंड उपलब्ध कराये जाने के मुद्दे पर कार्रवाई होनी है। कोर्ट ने पूर्व में इस मामलें पर सुनवाई करते हुए राज्य में मेन्टल हेल्थ रिव्यू बोर्ड के गठन के सम्बन्ध में रजिस्ट्रार जनरल,पटना हाईकोर्ट को प्रगति रिपोर्ट देने को कहा था। पूरे राज्य में प्रमंडल के स्तर पर ये बोर्ड गठित किया जाना था।
कोर्ट को राज्य सरकार की ओर से बताया गया था कि नयी नियमावली बना ली गयी है।कोर्ट ने हलफ़नामा पर दायर करने का निर्देश राज्य सरकार को दिया था। याचिकाकर्ता की अधिवक्ता आकांक्षा मालवीय ने बताया था कि नेशनल मेन्टल हेल्थ प्रोग्राम ही के अंतर्गत राज्य के 38 जिलों में डिस्ट्रिक्ट मेन्टल हेल्थ प्रोग्राम चल रहा हैं।लेकिन इसमें स्टाफ की संख्या नाकाफी ही है।
कोर्ट को ये भी बताया गया था कि सेन्टर ऑफ एक्सलेंस के तहत हर राज्य में मानसिक रोग के अध्ययन और इलाज के लिए कॉलेज है।लेकिन बिहार ही एक ऐसा राज्य हैं,जहां मानसिक रोग के अध्ययन और इलाज के लिए कोई कालेज नहीं है। इस मामलें पर अगली सुनवाई 16मई ,2025 को की जाएगी।