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Holi2025: भक्ति का रंग,शक्ति का रंग और महबूब की मोहब्बत से सराबोर होने का रंग,कैलाश से लेकर ब्रह्मलोक तक प्रेम की धारा का रंग, होली लेकर आई है खुशियां और भाईचारे का संदेश

Holi2025: धरती से लेकर स्वर्ग तक रंगों की छटा बिखरी हुई है। कैलाश से लेकर ब्रह्मलोक तक प्रेम की धारा बह रही है। भक्ति की निरंतरता एक अद्भुत प्रवाह में है। विभिन्न रंगों के साथ सात सुरों का अनोखा मेल है।

Holi2025: भक्ति का रंग,शक्ति का रंग और महबूब की मोहब्बत से सराबोर होने का रंग,कैलाश से लेकर ब्रह्मलोक तक प्रेम की धारा का रंग, होली लेकर आई है  खुशियां और भाईचारे का संदेश
भक्ति का रंग,शक्ति का रंग और महबूब की मोहब्बत से सराबोर होने का रंग,- फोटो : Reporter

Holi2025: भक्ति का रंग,शक्ति का रंग और महबूब की मोहब्बत से सराबोर होने का रंग। होली में इश्क है,होली में भाईचारा है। होली में हुड़दंग है, तो होली में उल्लास भी है। होली में स्नेह है तो प्रियतम से दूर रहने का विरह भी है। होली कन्हैया ने गोपियों के संग वृंदावन में खेली तो राधा के साथ बरसाने में। भगवान राम ने होली अवध में खेली तो बाबा हरिहरनाथ ने सोनपुर में। भोलेदानी ने होली मसाने में खेली। तो बाबू कुंवर सिंह ने बंगला में अबीर उड़ाया। सबकुछ भूलकर लोग रंगों से होली में सराबोर हो जाते है। होली की बात तो बिना श्रृंगार रस के पूरी ही नहीं हो सकती। तभी तो प्रियतम की डिमांड होती है की 'चूड़ियां लयीह छोट ए सईया नरमी कलईया।' और प्रेमी कहता है 'रंग बरसे भींगे चुनरवाली।' देवर की भौजाई से अठखेलियाँ तो होली का सबसे मजेदार हिस्सा है। जिसमें कहा जाता है की 'होली में गाल छूके गोड़ लागे देवरा।' जबकि सजनी कहती है "माने एकहु ना बतिया होली में रसिया।" एक बार फिर होली ने हमारे दिल के दरवाजे पर दस्तक दिया है। 

धरती से लेकर स्वर्ग तक रंगों की छटा बिखरी हुई है। कैलाश से लेकर ब्रह्मलोक तक प्रेम की धारा बह रही है। भक्ति की निरंतरता एक अद्भुत प्रवाह में है। विभिन्न रंगों के साथ सात सुरों का अनोखा मेल है। यह खुशियों और भाईचारे का संदेश लेकर आया है। दुश्मनी को दोस्ती के रंग में रंगने वाला यह उत्सव है। रंग-बिरंगे यौवन के साथ प्रकृति भी झूमने को मजबूर है। बाग-बगिचों में फूलों की मनमोहक छवि है। 

पेड़-पौधे, पशु-पक्षी और मानव सभी उल्लास से भरे हुए हैं। खेतों में लहराती गेहूँ की बालियां और आम के पेड़ों पर खिलते बौर हैं। किसानों का दिल खुशी से झूम रहा है। नृत्य, संगीत और रंगों से भरे बच्चे और बुजुर्ग थिरक रहे हैं। संकोच और पारंपरिक बंधनों को भुलाकर, ढोलक, झाँझ और मंजीरों की गूंजती धुनों पर युवतियाँ और महिलाएँ गुनगुनाती हैं। हवा में एक मादक सुगंध बिखरी हुई है। हाँ, यह फाग के रंगों का शुभ दिन है, जिसे 33 करोड़ देवी-देवताओं ने भी होली के रंग में रंगा है। लोकगीतों में इसकी गूंज सुनाई देती है।

राजगीर सिंह की विशेष रिपोर्ट


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