बिहार विधानसभा के बाहर भारी बवाल, विपक्ष ने रोका अध्यक्ष नंद किशोर यादव का रास्ता, काले कपड़े में जता रहे विरोध

हाथो में पोस्टर लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे विपक्षी सदस्यों ने नीतीश कुमार नीत एनडीए सरकार को जनविरोधी बताते हुए विधानसभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव को सदन में प्रवेश करने के समय रास्ता बाधित किया.

Bihar Assembly Speaker Nand Kishore Yadav
Bihar Assembly Speaker Nand Kishore Yadav- फोटो : news4nation

Bihar Vidhansabha : बिहार विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन सदन की कार्यवाही शुरू होने के पहले ही विपक्ष ने जमकर नारेबाजी की. सदन के प्रवेश द्वार पर विपक्षी सदस्यों ने काला कपड़ा पहनकर विरोध प्रदर्शन किया. हाथो में पोस्टर लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे विपक्षी सदस्यों ने नीतीश कुमार नीत एनडीए सरकार को जनविरोधी बताते हुए विधानसभा के प्रवेश द्वार की सीढियों पर बैठकर प्रदर्शन किया. यहां तक कि जब विधानसभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव सदन में प्रवेश करने के लिए पहुंचे तो उस समय भी विपक्ष का प्रदर्शन जारी रहा. इससे उन्हें विधानसभा परिसर में प्रवेश करने में मशक्कत करनी पड़ी. एक तरह से विपक्ष के सदस्यों ने उनका रास्ता रोककर प्रदर्शन किया. 


दरअसल, आज बिहार विधानसभा का मानसून सत्र के दूसरे दिन विपक्षी विधायक काले वस्त्र पहनकर विधानसभा पहुंचने की तैयारी में हैं। यह विरोध प्रदर्शन इस बात का प्रतीक है कि वे मतदाता सूची की प्रक्रिया को लोकतंत्र के खिलाफ मान रहे हैं और इसे "काले निर्णय" की संज्ञा दे रहे हैं। संभावना है कि आज भी सदन में तीखा गतिरोध देखने को मिले।


सोमवार को सत्र के पहले दिन ही विपक्षी दलों ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर जोरदार हंगामा किया और राजग सरकार पर मतदाता सूची में धांधली का आरोप लगाया। विपक्षी सदस्यों ने वेल में आकर प्रदर्शन किया, पोस्टर लहराए और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाज़ी की, जिससे सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।


विपक्ष का कहना है कि मतदाता सूची के पुनरीक्षण में पक्षपात किया गया है। उनका आरोप है कि राजग शासित प्रशासन ने यह सुनिश्चित किया कि कुछ क्षेत्रों में मतदाताओं के नाम जानबूझकर हटाए जाएं या बदल दिए जाएं, जिससे चुनावी लाभ उठाया जा सके। विपक्ष इस प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल खड़ा कर रहा है और इसकी जांच की मांग कर रहा है।


इस बार का मानसून सत्र नीतीश सरकार के वर्तमान कार्यकाल का अंतिम सत्र माना जा रहा है। यह 25 जुलाई तक चलेगा। इस सत्र के दौरान राज्यपाल द्वारा स्वीकृत अध्यादेशों की प्रतियाँ सदन में रखी जाएँगी,अलग-अलग समितियों की रिपोर्ट पेश होंगी, 23 जुलाई को राजकीय विधेयक सदन में लाए जाएंगे,24 जुलाई को अनुपूरक बजट पर चर्चा व मतदान, फिर विनियोग विधेयक लाया जाएगा, 25 जुलाई को गैर सरकारी संकल्पों पर चर्चा होगी।


जहाँ सरकार इस सत्र में वित्तीय विधेयकों और नीतिगत घोषणाओं को पारित करवाना चाहती है, वहीं विपक्ष ने साफ कर दिया है कि वह मतदाता सूची के मुद्दे पर पीछे नहीं हटेगा। ऐसे में इस पूरे सत्र के दौरान कई बार सदन की कार्यवाही बाधित हो सकती है।


बिहार विधानसभा का मानसून सत्र अब सिर्फ विधायी कार्यों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बन गया है। विपक्ष का मतदाता सूची को लेकर विरोध आगामी चुनावों की पृष्ठभूमि में एक बड़ा राजनीतिक संदेश दे रहा है। देखना होगा कि सरकार इस गतिरोध को संवाद से सुलझाती है या टकराव और बढ़ता है।

रंजन की रिपोर्ट