Bihar Education News : छह करोड़ के घोटाले पर चुप्पी क्यों? मोतिहारी में आदेशों को रद्दी की टोकरी में डालने का खेल, आरोपी AE पर कार्रवाई से शिक्षा विभाग कतरा रहा

Motihari: पूर्वी चंपारण जिले के शिक्षा विभाग में करीब 6 करोड़ रुपये के फर्जी भुगतान प्रयास का गंभीर मामला सामने आया है, लेकिन हैरानी की बात यह है कि इस गड़बड़ी में संलिप्त सहायक अभियंता (AE) के खिलाफ महीनों बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। जिला शिक्षा अनुश्रवण समिति के अध्यक्ष द्वारा आदेशित अनुशंसा तक विभागीय अफसरों ने ठंडे बस्ते में डाल दी है। 14 जून को हुई बैठक में विद्यालयों में असैनिक कार्यों की समीक्षा के दौरान कई विधायकों और पार्षदों ने गुणवत्ता पर सवाल खड़े किए थे। इसके जवाब में तत्कालीन डीईओ ने स्वीकार किया था कि संबंधित AE के खिलाफ राज्य परियोजना निदेशक को सेवा समाप्ति की अनुशंसा भेजी गई है। इसके बावजूद, आज तक कोई विभागीय अनुशंसा डीएम या उच्चाधिकारियों के माध्यम से नहीं भेजी गई।
AE द्वारा 17 मई 2025 को BSEIDC को भेजे गए पत्र में क्रमांक 2261 के तहत 6 करोड़ की राशि भुगतान का अनुरोध किया गया। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि ठीक इसी पत्रांक से एक दिन पहले, यानी 16 मई को, डीपीओ एसएसए ने सभी प्रधानाध्यापकों को मशाल-2024 प्रतियोगिता संबंधी आदेश भेजा था। यहां सवाल उठता है कि क्या कोई पत्रांक दो दिन में दो बार जारी किया जा सकता है? नहीं। यह खुला फर्जीवाड़ा है।
तत्कालीन डीपीओ एसएसए ने AE से स्पष्टीकरण मांगा था। तीन बार रिमाइंडर भेजे गए, लेकिन AE ने कोई जवाब नहीं दिया। इसके बाद FIR की अनुमति के लिए तत्कालीन डीईओ को पत्र भेजा गया, लेकिन वहां भी मौन और मेहरबानी दिखी। शिक्षा विभाग के कई अधिकारियों पर सवाल उठने लगे हैं। जब दो पूर्व DEO संजय कुमार (निलंबित) और संजीव कुमार (प्रपत्र क गठित) पर कार्रवाई हो सकती है, तो इस मामले में निष्क्रियता जानबूझकर की गई शह की ओर इशारा करती है।
प्रभारी डीपीओ पहलाद गुप्ता ने बताया, कि “अभी फाइल मिली है। पूरी जांच कर रहे हैं। जो भी दोषी पाए जाएंगे, उन पर निश्चित रूप से कार्रवाई होगी।” तो सवाल उठता है कि क्या करोड़ों के घोटाले के आरोपित को विभागीय अधिकारी जान-बूझकर बचा रहे हैं? और सबसे अहम क्या जिला शिक्षा अनुश्रवण समिति की सिफारिशों की कोई संवैधानिक/प्रशासनिक हैसियत नहीं रह गई है?
रिपोर्ट- हिमांशु कुमार