Gopal Mandal VS Ajay Mandal: जदयू में बढ़ती खींचतान! अजय मंडल बनाम गोपाल मंडल विवाद ने पकड़ी तूल, जानें किसने लगाया HIV पॉजिटिव होने का आरोप

Gopal Mandal VS Ajay Mandal: जदयू के दिग्गज नेताओं अजय मंडल और गोपाल मंडल के बीच विवाद गहराता जा रहा है, जिसमें आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है। जानें पूरा मामला और इसके राजनीतिक असर।

Gopal Mandal VS Ajay Mandal
जदयू के दो बड़े नेताओं के बीच घमासान!- फोटो : social media

Gopal Mandal VS Ajay Mandal: जदयू के दो बड़े नेताओंभागलपुर से सांसद अजय कुमार मंडल और गोपालपुर के विधायक गोपाल मंडलके बीच विवाद ने अब खुली जंग का रूप ले लिया है। यह विवाद महज़ चार दिन पहले तब शुरू हुआ जब विधायक गोपाल मंडल ने सांसद अजय मंडल और पार्टी की प्रदेश महासचिव पर आपत्तिजनक टिप्पणी की। इन टिप्पणियों के जवाब में सांसद ने घोघा थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई, जिससे राजनीतिक माहौल गर्मा गया।राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद केवल व्यक्तिगत कटुता का परिणाम नहीं है, बल्कि जदयू में लंबे समय से पनप रही गुटबाजी का संकेत भी देता है।

आरोपों की बरसात प्रेस वार्ता में बिगड़ी जुबान

गुरुवार को आयोजित प्रेस वार्ता में गोपाल मंडल ने अजय मंडल पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने दावा किया कि सांसद एचआईवी पॉजिटिव हैं और उन्हें संसद जाने से रोका जाना चाहिए। साथ ही उन्होंने पुराने आपराधिक मामलों का हवाला देते हुए हत्या और पाकेटमारी तक के आरोप लगाए।इसके अलावा गोपाल मंडल ने जमीन पर अफीम की खेती, शराब की सप्लाई और निजी महत्वाकांक्षाओं तक पर उंगली उठाई। अजय मंडल ने सभी आरोपों का खंडन किया और जमीन को अपने चाचा-भतीजे की संपत्ति बताया।

पार्टी के अंदर बढ़ती गुटबाज़ी

जदयू में यह विवाद एक बार फिर से यह सवाल उठाता है कि पार्टी के भीतर नेतृत्व और अनुशासन को लेकर कितनी चुनौतियां मौजूद हैं। अंदरूनी कलह का असर न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि राज्य स्तरीय राजनीति पर भी पड़ सकता है।ऐसे विवाद चुनावी तैयारी और संगठनात्मक मजबूती पर सीधे असर डालते हैं। जदयू जैसी सत्तारूढ़ पार्टी के लिए यह स्थिति विपक्ष को राजनीतिक लाभ पहुंचा सकती है।

राजनीतिक असर और आगे की संभावनाएं

अगर यह विवाद जल्द नहीं सुलझा, तो पार्टी में गुटबाजी और गहरी हो सकती है। राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि इस प्रकार के सार्वजनिक आरोप पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा सकते हैं और मतदाताओं का भरोसा डगमगा सकते हैं।इसके अलावा, विपक्ष इस मौके का फायदा उठाकर जदयू को घेरने की कोशिश करेगा, जिससे चुनावी रणनीति पर भी असर पड़ेगा।