Bihar News: वोटर लिस्ट से बड़ी संख्या में कटा महिला मतदाताओं का नाम, मतदाता सूची में भारी कटौती, आंकड़े जान चौंक जाएंगे आप

Bihar News: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची में बड़ी कटौती की गई है। महिलाओं के नामों में सबसे अधिक गिरावट आई है। आंकड़े चौंकाने वाले है....

महिला मतदाता
महिला मतदाताओं का कटा नाम - फोटो : social media

Bihar News: बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची में भारी गिरावट दर्ज की गई है। विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया के बाद 30 सितंबर 2025 को जारी अंतिम सूची के अनुसार राज्य में मतदाताओं की संख्या में 38 लाख से अधिक की कमी आई है। वर्ष की शुरुआत में 1 जनवरी को प्रकाशित सूची में कुल मतदाता संख्या 7.8 करोड़ थी, जो अब घटकर 7.41 करोड़ रह गई है।

हिलाओं के नामों में अधिक कटौती

यह कमी लिंग के आधार पर असमान रही है। पुरुष मतदाता 4.07 करोड़ से घटकर 3.92 करोड़ हुए, यानी 3.8% की कमी। वहीं महिला मतदाता 3.72 करोड़ से घटकर 3.49 करोड़ हुईं, यानी 6.1% की तेज गिरावट। कुल मिलाकर, हटाए गए मतदाताओं में 15.5 लाख पुरुष और 22.7 लाख महिलाएं शामिल हैं। इसका मतलब है कि SIR प्रक्रिया के दौरान हटाए गए हर 10 नामों में लगभग छह नाम महिलाओं के थे।

बड़े जिलों में भी असंतुलन

राज्य के बड़े जिलों में भी यह असंतुलन स्पष्ट दिखाई देता है। मुजफ्फरपुर में कुल 1.22 लाख मतदाता कम हुए, जिसमें महिलाओं की कमी (3.9%) पुरुषों (3.4%) से अधिक रही। मधुबनी में 2.27 लाख मतदाता घटे, जिसमें महिलाओं में 8.2% की कमी दर्ज की गई, जबकि पुरुषों में यह दर 5.5% थी। पटना में भी महिलाओं के नामों में 4.1% की कटौती हुई, जबकि पुरुषों में 3.5% की कमी रही। गोपालगंज में यह असंतुलन और भी गंभीर था, जहां महिलाओं के नामों में लगभग 15% की भारी कटौती हुई, जबकि पुरुषों में 7.8% कमी हुई।

कमी के पीछे कारण

चुनाव आयोग के अधिकारियों ने इस असंतुलन के लिए 'सामाजिक और सीमा-पार कारक' जिम्मेदार बताए हैं। अधिकारियों के अनुसार, उत्तरी बिहार के सीमावर्ती जिलों में नेपाल से शादी करके आने वाली कई महिलाएं नेपाली नागरिकता नहीं छोड़ती और उचित दस्तावेजों के अभाव में सत्यापन प्रक्रिया के दौरान उनके नाम हटाए जाते हैं। इसके अलावा, परिवारों द्वारा महिलाओं का पंजीकरण कराने में भी कम तत्परता दिखाई जाती है, खासकर शादी के बाद दूसरे घर में जाने वाली महिलाओं के मामलों में। इस डेटा से स्पष्ट होता है कि आगामी चुनावों से पहले मतदाता सूची में महिलाओं की हिस्सेदारी कम होने का एक बड़ा रुझान सामने आया है, जिसे चुनाव आयोग सुधारने का प्रयास करेगा।