प्रसव केंद्रों के लेबर रूम अब मेंटरिंग प्रणाली होगी और उन्नत, मंगल पाण्डेय ने किया 'जीवनदीप' का शुभारंभ, गर्भवती महिलाओं को बड़ा फायदा

मंगल पाण्डेय ने कहा कि हमारा संकल्प होना चाहिए कि हर मरीज को गुणवत्तापूर्ण इलाज, हर गर्भवती महिला को सुरक्षित प्रसव और हर शिशु को स्वस्थ जीवन मिले।

Mangal Pandey launched Jeevandeep
Mangal Pandey launched Jeevandeep- फोटो : news4nation

Bihar News: चिकित्सकों और स्टाफ नर्सों की तकनीकी दक्षता को बढ़ाने और मातृ एवं नवजात स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता सुधारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के तहत राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा जीवनदीप कार्यक्रम का शुभारंभ मंगलवार को स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय ने किया. इस पहल का मुख्य उद्देश्य राज्य के सभी चिन्हित प्रसव केंद्रों के लेबर रूम और एसएनसीयू/एनबीएसयू में मेंटरिंग प्रणाली को मजबूती और विस्तार देना है। पहले चरण में 35 जिला अस्पतालों एवं एसडीएच  दानापुर (पटना) के लेबर रूम और एसएनसीयू में मेंटरिंग फ्रेमवर्क स्थापित किया जाएगा। आगे के चरणों में अधिक प्रसवभार वाले स्वास्थ्य संस्थानों को भी इस योजना में शामिल किया जाएगा।


उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मार्गदर्शन में राज्य के विभिन्न जिलों में अब तक 45 एसएनसीयू (विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाई) स्थापित किए जा चुके हैं। इसी माह 06 अगस्त को 17 करोड़ 40 लाख रुपये की लागत से 15 जिलों के अनुमंडलीय अस्पतालों में मदर न्यूबॉर्न केयर यूनिट (एमएनसीयू) का उद्घाटन किया गया। जो मातृत्व एवं नवजात शिशु देखभाल के मानकों में ऐतिहासिक बदलाव की शुरुआत है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवा किसी भी राज्य की मजबूत रीढ़ होती है और इसके लिए उत्कृष्ट प्रशिक्षण एवं आधुनिक तकनीकी ज्ञान अत्यंत आवश्यक है।


उन्होंने कहा, इस कड़ी में राज्य के लेबर रूम और एसएनसीयू से प्रत्येक जिला अस्पताल के एक स्त्री रोग विशेषज्ञ, एक शिशु रोग विशेषज्ञ, एशिया की एक स्टाफ नर्स और लेबर रूम की एक स्टाफ नर्स सहित कुल 140 मेंटर्स का चयन किया गया है। इन्हें व्यवहारिक प्रशिक्षण और तकनीकी दक्षता में उन्नत किया जाएगा। ये लोग आगे चलकर विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों में प्रषिक्षण देने का कार्य भी करेंगे।

मातृ - मृत्यु दर में आई कमी 

मंगल पाण्डेय ने स्मरण कराया कि 2017 में स्वास्थ्य मंत्री बनने के बाद उन्होंने अमानत कार्यक्रम की शुरुआत की थी, जिसके माध्यम से नर्सों की क्लिनिकल प्रैक्टिस में उल्लेखनीय सुधार हुआ। इसका परिणाम  एसआरएस 2022 के आंकड़ों में दिख रहा है।  बिहार की मातृ - मृत्यु दर (एमएमआर) घटकर 91 और नवजात मृत्यु दर (एनएमआर) घटकर 26 हो गई है। उन्होंने निर्देश दिया कि ’’जीवन दीप’’ कार्यक्रम को सस्टेनेबल मॉडल के रूप में विकसित किया जाए जिससे ब्लॉक स्तर पर प्रशिक्षण को स्थायी और संस्थागत स्वरूप दिया जा सके। डॉक्टर और नर्स केवल पेशेवर नहीं, बल्कि मानवता के संवाहक होते हैं इसलिए उनमें करुणा, धैर्य और नैतिकता का भाव अनिवार्य रूप से विकसित होना चाहिए। विभागीय पदाधिकारी महीने में कम से कम दो बार अस्पतालों का दौरा कर यह सुनिश्चित करें कि प्रशिक्षण का वास्तविक लाभ मरीजों तक पहुँच रहा है। 


हर मरीज को गुणवत्तापूर्ण इलाज

उन्होंने कहा कि हमारा संकल्प होना चाहिए कि हर मरीज को गुणवत्तापूर्ण इलाज, हर गर्भवती महिला को सुरक्षित प्रसव और हर शिशु को स्वस्थ जीवन मिले। इस अवसर पर लोकेश कुमार सिंह, सचिव, स्वास्थ्य विभाग,  वैभव चौधरी, अपर सचिव, स्वास्थ्य, शशांक शेखर सिन्हा, मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी, बिहार स्वास्थ्य सुरक्षा समिति, अमिताभ सिंह, माननीय स्वास्थ्य मंत्री के आप्त सचिव, राजेश कुमार प्रशासी पदाधिकारी, राज्य स्वास्थ्य समिति के साथ स्वास्थ्य विभाग के अन्य पदाधिकारी और कर्मचारी मौजूद थे।