Vashishtha Narayan Singh:गणित के जादूगर डॉ. वशिष्ठ नारायण सिंह: नासा के कंप्यूटर से तेज थी कैलकुलेशन, इन्होंने आइंस्टीन को दी थी चुनौती

Vashishtha Narayan Singh:गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह की प्रतिभा इतनी विलक्षण थी कि पटना विश्वविद्यालय को उनके लिए अपने नियम बदलने पड़े।कभी आइंस्टीन को चुनौती देने वाले वशिष्ठ बाबू का मानसिक बीमारी से निधन हो जाएगा कोई नहीं जानता था.

Vashishtha Narayan Singh
गणित के जादूगर डॉ. वशिष्ठ नारायण सिंह- फोटो : Hiresh Kumar

Vashishtha Narayan Singh: गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का जन्म 2 अप्रैल 1946 को बिहार के भोजपुर जिले के बसंतपुर गांव में हुआ था। उनकी प्रतिभा इतनी विलक्षण थी कि पटना विश्वविद्यालय को उनके लिए अपने नियम बदलने पड़े।

वशिष्ठ नारायण ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा नेतरहाट विद्यालय से प्राप्त की, जहाँ उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा में पूरे बिहार में टॉप किया। इसके बाद, वे पटना साइंस कॉलेज में दाखिल हुए। उनकी गणितीय क्षमता को देखते हुए, उनके प्रोफेसर डॉ. नागेंद्र नाथ ने पटना विश्वविद्यालय के कुलपति से अनुरोध किया कि उन्हें सीधे फाइनल ईयर की परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाए। इस विशेष अनुमति के कारण वशिष्ठ नारायण ने केवल एक वर्ष में बीएससी ऑनर्स की डिग्री प्राप्त की और पूरे बिहार में टॉपर बने.

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1965 में, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जॉन कैली ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें अमेरिका बुलाया। उन्होंने 1969 में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री प्राप्त की, जिसमें उन्होंने “द पीस ऑफ स्पेस थ्योरी“ पर शोध किया। इस शोध ने आइंस्टीन के प्रसिद्ध सापेक्षता सिद्धांत को चुनौती दी.

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वशिष्ठ नारायण सिंह ने नासा में भी काम किया, जहाँ एक महत्वपूर्ण घटना हुई जब अपोलो मिशन के दौरान 31 कंप्यूटर बंद हो गए थे। उन्होंने बिना किसी तकनीकी सहायता के अपनी गणना जारी रखी और जब कंप्यूटर फिर से चालू हुए, तो उनकी गणना और कंप्यूटर द्वारा दी गई गणना समान थी.

1971 में, वशिष्ठ नारायण भारत लौट आए और आईआईटी कानपुर, आईआईटी मुंबई तथा आईएसआई कोलकाता जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में पढ़ाने लगे. हालांकि, उनके जीवन का एक कठिन दौर शुरू हुआ जब वे मानसिक बीमारी स्किजोफ्रेनिया से ग्रसित हो गए। उनका विवाह वंदना रानी सिंह से हुआ, लेकिन उनके असामान्य व्यवहार के कारण यह विवाह लंबे समय तक नहीं चला.

14 नवंबर 2019 को वशिष्ठ नारायण सिंह का निधन हो गया। उनके निधन पर भारत सरकार ने उन्हें मरणोपरांत पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया. उनका जीवन गणित और विज्ञान के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान देने वाले एक महान व्यक्तित्व का प्रतीक है।

वशिष्ठ नारायण सिंह न केवल एक महान गणितज्ञ थे बल्कि उन्होंने अपने जीवनकाल में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल कीं जो आज भी प्रेरणा देती हैं।