Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव में BJP-JDU और RJD के इतने विधायकों का कटेगा टिकट! एनडीए महागठबंधन में मच सकता है बवाल
Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी-जदयू और राजद के कई विधायकों के लिए खतरे की घंटी है। इस बार कई विधायकों का टिकट कट सकता है।

Bihar Politics: बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी हलचल तेज है। सीट बंटवारे से उम्मीदवारों के चयन तक को लेकर माथापच्ची जारी है। इसी बीच कई विधायकों के टिकट कटने की भी खबर सामने आ रही है। बीजेपी-जदयू-राजद के कई विधायकों को पार्टी बेटिकट कर सकती है। ऐसे में विधायकों में हड़कंप मचा हुआ है। सभी पार्टी अपने अपने स्तर से नए प्रत्याशियों की तलाश में भी जुटी है। सभी दलों में घमासान भी मच सकता है।
राजद के दर्जनों विधायक की होगी छुट्टी
दरअसल, चुनाव से पहले सभी दल अपने-अपने विधायकों के कामकाज और सक्रियता की कसौटी पर उन्हें परख रहे हैं। कई सत्ताधारी और विपक्षी दलों में बड़ी संख्या में मौजूदा विधायकों की टिकट कटने की आशंका है। राजद ने शुरू में अपने लगभग एक-तिहाई विधायकों को बेटिकट करने का मन बना लिया था। तेजस्वी यादव की समीक्षा और सर्वे रिपोर्ट में ढाई दर्जन विधायक निष्क्रिय पाए गए। हालांकि हाल के दिनों में राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा और क्षेत्र में सक्रियता दिखाकर कुछ विधायकों ने राहत की सांस ली है। फिर भी करीब दर्जन भर विधायकों की टिकट पर संकट बरकरार है।
भाजपा के 7-8 विधायकों को पार्टी दिखाएगी बाहर का रास्ता
वहीं भाजपा की स्थिति भी इससे अलग नहीं है। पार्टी ने उम्रदराज और निष्क्रिय विधायकों की छुट्टी की तैयारी कर ली थी। नरेंद्र मोदी के 75 वर्ष की उम्र में भी प्रधानमंत्री बने रहने से इन नेताओं को थोड़ा सहारा मिला है, लेकिन जिनसे नेतृत्व का भरोसा उठ चुका है उन्हें टिकट मिलने की संभावना नहीं है। भाजपा के सात-आठ विधायकों को बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है।
जदयू के 5-6 विधायकों पर गिर सकती है गाज
ठीक इसी प्रकार जदयू के पांच-छह विधायकों पर भी गाज गिरने की चर्चा है। पार्टी इन सीटों पर नए चेहरों या स्वजनों को मौका दे सकती है। लोजपा (रामविलास) में भी मटिहानी सीट पर खीझ उतारने की तैयारी है, जबकि वीआईपी के खाते से बचे विधायक पहले ही भाजपा में शामिल हो चुके हैं।
वाम दल और कांग्रेस को अपने विधायकों पर भरोसा
वाम दलों और कांग्रेस ने अपने मौजूदा विधायकों पर फिलहाल भरोसा जता रहे हैं। हालांकि, कांग्रेस के दो-तीन क्षेत्रों को लेकर सहयोगी दलों से खींचतान चल रही है। 2020 के चुनाव में भी राजद ने 18 और जदयू ने 12 विधायकों को टिकट से वंचित किया था, जबकि भाजपा ने आठ विधायकों की छुट्टी की थी। इस बार भी वही तस्वीर दोहराई जा सकती है। जिन विधायकों ने पार्टी नेतृत्व का भरोसा खोया है या पाला बदल लिया है, उन्हें टिकट से हाथ धोना पड़ सकता है। वहीं सक्रियता और संगठन में दमखम दिखाने वाले नेताओं के लिए मैदान दोबारा खुला रहेगा।