Monsoon in Bihar: बिहार में मानसून आने से पहले लगा ग्रहण! बीते 24 घंटों में सुस्त पड़ी चाल, जानें मौसम विभाग का क्या है अनुमान

Monsoon in Bihar: सीमांचल के रास्ते एक जून को मानसून की एंट्री के संकेतों के बावजूद बिहार में अब इसकी चाल धीमी पड़ गई है। जानिए जून से सितंबर तक वर्षा की संभावनाएं और पिछले वर्षों के आंकड़ों का विश्लेषण।

 Monsoon in Bihar
बिहार में मॉनसून की चाल पड़ी धीमी- फोटो : SOCIAL MEDIA

 Monsoon in Bihar: बिहार के सीमांचल क्षेत्र में एक जून 2025 को जब मानसून के प्रवेश की खबर आई, तब ऐसा प्रतीत हुआ कि इस बार मानसून अपने तय समय से भी पहले दस्तक दे देगा। लेकिन केवल 24 घंटे में ही स्थिति उलट गई। अब मानसून की चाल धीमी हो चुकी है और अनुमान है कि राज्य में इसका पूर्ण प्रवेश एक सप्ताह तक टल सकता है।

 क्या है वर्तमान स्थिति?

एक जून को सीमांचल से मानसून की हल्की एंट्री देखने को मिली। 2 जून से गतिविधियों में सुस्ती पाई गई। इस वजह से मॉनसून के पूरे राज्य में फैलने में 7 दिन की संभावित देरी देखने को मिल सकती है।

बारिश के पूर्वानुमान पर संकट

भारतीय मौसम विभाग (IMD) की तरफ से शुक्रवार (30 मई) को जारी पूर्वानुमान के अनुसार, मानसून की देरी के बावजूद जून में सामान्य या उससे अधिक बारिश की संभावना बनी हुई है।लेकिन जुलाई, अगस्त और सितंबर के लिए अब तस्वीर साफ नहीं है। इन महीनों में सामान्य से कम बारिश की आशंका जताई गई है, जिससे खेती, जल आपूर्ति और खाद्य सुरक्षा जैसे मुद्दों पर प्रभाव पड़ सकता है।

2025 पूर्वानुमान सारांश:

माह    वर्षा का पूर्वानुमान

जून    सामान्य से अधिक संभावित

जुलाई    सामान्य से कम संभावना

अगस्त    सामान्य से कम संभावना

सितंबर    सामान्य से कम या औसत संभावना

पूर्णिया के आंकड़ों में छिपा है मानसून का व्यवहार

पूर्णिया, सीमांचल क्षेत्र में मानसून का प्रमुख गेटवे रहा है। पिछले पाँच वर्षों के आंकड़ों को देखें तो वर्षा में स्पष्ट अस्थिरता नजर आती है:

📊 पूर्णिया में पिछले 5 वर्षों  में हुई बारिश का लेखा-जोखा

वर्ष    वर्षा (मिमी)

2020    1796

2021    1066

2022    1144

2023    1250

2024    966

2020 को छोड़ दें तो हर एक साल वर्षा में कमी देखी गई है, जो जलवायु परिवर्तन के संकेत हो सकते हैं।

पर्वतीय प्रभाव और बंगाल की खाड़ी की भूमिका

बिहार के मानसून पर दो प्रमुख भौगोलिक कारक प्रभाव डालते हैं:

हिमालयी पर्वत श्रृंखला – मानसून को उत्तर की ओर प्रवाहित होने से रोकती है, जिससे वर्षा केंद्रित होती है।

बंगाल की खाड़ी से आने वाली नमी – मानसून की शक्ति को पोषित करती है।

जब इन दोनों में असंतुलन या देरी होती है, तो मानसून कमजोर या अनियमित हो जाता है। वर्तमान परिस्थिति में बंगाल की खाड़ी से अपेक्षित नमी नहीं आ पा रही, जिससे बारिश की गतिविधि ठप हो गई है।