PATNA - केंद्रीय कर्मचारियों की ग्रेच्यूटी को 20 लाख से बढ़ाकर 25 लाख किए जाने के बाद बिहार के सरकारी कर्मियों की ग्रेच्यूटी बढ़ाने को लेकर नीतीश सरकार ने अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी। विधानसभा में सरकार ने यह साफ कर दिया है कि केंद्र की नीतियों को मानना सरकार की बाध्यता नहीं है।
सदन में सोमवार को प्रश्नकाल के दौरान जमालपुर विधायक के सवाल का जवाब देते हुए प्रभारी मंत्री ने जवाब देते हुए बताया कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार की नीति में अंतर है। राज्य सरकार की अपनी नियमावली होती है।
क्या था विधायक का सवाल
बता दें कि जमालपुर के विधायक अजय कुमार सिंह ने इस प्रश्न को उठाया था। उन्होंने कहा कि सातवें वेतन आयोग के वेतन पुनरीक्षण के क्रम में उपादान की राशि 20 लाख रुपए निर्धारित करते हुए यह अनुशंसा की गयी थी कि मंहगाई भत्ता 50 प्रतिशत या उससे अधिक होने पर उपादान की राशि 25 लाख रुपए कर दी जाएगी।
राज्य सरकार ने संशोधित राशि को नहीं किया लागू
इस आधार पर केंद्र सरकार द्वारा उपादान की राशि 25 लाख रुपए निर्धारित की गयी है। पर राज्य सरकार द्वारा उपादान की संशोधित राशि को अब तक राज्य कर्मियों के लिए लागू नहीं किया गया है। वित्त विभाग का इस बारे में एक संकल्प भी है और राज्यकर्मियों के साथ राज्य सरकापर ने एक समझौता भी किया था।
प्रभारी मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा सातवें वेतन आयोग की सुविधा राज्य कर्मियों को दी जा रही है।