Bihar Elections 2025: बिहार में महिलाओं के लिए Nitish Kumar का मास्टर स्ट्रोक जो बनेगा 'गेम चेंजर'?

Bihar Chunav: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछले दो दशकों में अपनी राजनीति का आधार महिला सशक्तीकरण को बनाया है। उनकी यह सुदृढ़ छवि सिर्फ वादों पर नहीं, बल्कि ठोस योजनाओं पर टिकी है।

Bihar Elections 2025: बिहार में महिलाओं के लिए Nitish Kumar
बिहार में महिलाओं के लिए Nitish Kumar का मास्टर स्ट्रोक जो बनेगा 'गेम चेंजर'?- फोटो : NEWS 4 NATION AI

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान अगले सप्ताह होने वाला है, और इसी बीच एक बार फिर महिला वोट बैंक चुनावी बहस के केंद्र में आ गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महत्वाकांक्षी 'मुख्यमंत्री महिला स्वरोजगार योजना' के तहत लाखों महिलाओं को ₹10,000 की आर्थिक मदद मिल रही है, जिसकी दूसरी किस्त हाल ही में 25 लाख महिलाओं के खातों में भेजी गई है।अब तक 1 करोड़ से अधिक महिलाओं को मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना का लाभ मिल चुका है. शुक्रवार को पटना से आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 25 लाख महिलाओं के खातों में 2500 करोड़ रुपये भेजे.

पिछले दो दशकों से नीतीश कुमार की राजनीति का मुख्य आधार महिला सशक्तीकरण रहा है। शुरुआती दौर की साइकिल-पोशाक योजना हो, शराबबंदी, जीविका दीदी कार्यक्रम, पंचायतों में 50% आरक्षण, या अब यह आर्थिक मदद वाली स्कीम—नीतीश कुमार ने लगातार अपनी छवि महिलाओं के हितैषी नेता के रूप में बनाई है।ग्रामीण क्षेत्रों में, इस सीधी आर्थिक मदद का असर दिख रहा है, जहां महिला मतदाता कह रही हैं कि "सरकार ने हमें हाथ पकड़कर खड़ा किया।"

बिहार में महिला वोट बैंक का समीकरण

बिहार में मतदाता आधार का लगभग 48% हिस्सा महिलाएं हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव में, 59.7% महिलाओं ने मतदान किया था, जो पुरुषों के 54.6% के मुकाबले कहीं अधिक था। विश्लेषकों का मानना है कि 2025 में भी महिला मतदाता "किंगमेकर" की भूमिका निभा सकती हैं।

महिलाओं का मूड 

सूबे में महिलाओं से हुई बातचीत में राहत और उम्मीद दोनों के भाव दिखे। रोहतास की रूपा कुमारी ने जहां ₹10,000 की मदद और शराबबंदी के लिए नीतीश कुमार की सराहना की, वहीं अरवल की शैलजा देवी ने स्वीकार किया कि मदद अच्छी है, लेकिन बच्चों के लिए नौकरी और रोजगार मुख्य मुद्दा बना हुआ है। यानी, आर्थिक मदद से तात्कालिक राहत मिली है, पर स्थायी रोज़गार की चाहत बनी हुई है।

चुनावी असर: गेमचेंजर या सीमित दायरा?

यह योजना गेमचेंजर साबित हो सकती है क्योंकि यह सीधे 1 करोड़ महिलाओं को ₹10,000 और 6 महीने बाद ₹2 लाख तक की राशि प्रदान करने का वादा करती है। इसका असर उन ग्रामीण इलाकों में अधिक होगा, जहां महिलाएं स्वरोजगार से जुड़ी हैं, जबकि शहरी और युवा महिलाओं के बीच इसका प्रभाव सीमित रह सकता है।

NDA को फायदा

 यदि महिलाएं इस एकमुश्त आर्थिक मदद को बड़ा समर्थन मानती हैं, तो NDA को सीधा फायदा मिल सकता है। लेकिन अगर बेरोजगारी और सुरक्षा जैसे बड़े मुद्दे हावी रहे, तो विपक्ष इसे "नकली राहत" साबित करने में सफल हो सकता है।

विपक्ष का पलटवार

राजद और कांग्रेस ने इस योजना को "चुनावी स्टंट" बताया है। तेजस्वी यादव लगातार सवाल उठा रहे हैं कि "₹10,000 देकर सरकार जिम्मेदारी से बच नहीं सकती, असली रोजगार कहां है?" चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर भी इसे "घोषणाओं की राजनीति" कहकर आलोचना कर चुके हैं। विपक्ष का पूरा ध्यान रोजगार और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर केंद्रित है, ताकि महिलाओं के वोट को NDA के पाले में जाने से रोका जा सके।

नीतीश कुमार की ₹10,000 वाली योजना निश्चित रूप से महिला मतदाताओं को लुभाने का एक बड़ा प्रयास है। 2025 के चुनावी नतीजे ही तय करेंगे कि यह योजना NDA को सत्ता में वापस लाएगी, या फिर विपक्ष इसे बेरोजगारी के ज्वलंत मुद्दे के सामने फीका करने में सफल होगा।

रिपोर्ट - पुष्कर प्रवीण