STATE LEVEL BANKERS COMMITTEE : चालू वित्तीय वर्ष 2024-25 समाप्त होने में केवल दो महीने बाकी हैं, लेकिन अभी तक बिहार में राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की एक भी बैठक नहीं हुई है। बता दें भारतीय रिजर्व बैंक की अग्रणी बैंक योजना के तहत गठित एसएलबीसी राज्य में बैंकरों की सर्वोच्च संस्था है। इस समिति की बैठक हर तिमाही में एक बार होती है। इन बैठकों में संस्थागत ऋण गतिविधियों की समीक्षा के साथ-साथ राज्य के आर्थिक विकास से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की जाती है, जिसमें बैंकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
एसएलबीसी की बैठकों का मुख्य उद्देश्य राज्य के सामने आने वाली विभिन्न समस्याओं का समाधान खोजना है। एसएलबीसी सरकारी विभागों, भारतीय रिजर्व बैंक, नाबार्ड और अन्य विकास एजेंसियों के साथ मिलकर विकास की प्रक्रिया को शुरू करने, व्यवस्थित करने और गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
साल 2023-24 की अंतिम तिमाही की बैठक जून 2024 में हुई थी। इस बैठक में 88वीं और 89वीं एसएलबीसी की संयुक्त बैठक हुई थी, जिसमें 2023-24 के दिसंबर और मार्च 2024 तिमाही के लक्ष्यों और उनकी प्राप्ति पर चर्चा की गई थी। इस बैठक की अध्यक्षता उपमुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री सम्राट चौधरी ने की थी।
वित्त विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी योजना को लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए समीक्षा एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। एसएलबीसी की बैठक में राज्य सरकार बैंकों द्वारा दिए जा रहे ऋण की निगरानी करती है। बैठक नहीं होने से यह पता लगाना मुश्किल हो जाता है कि बैंक लक्ष्य के अनुसार काम कर रहा है या नहीं।
इस वित्तीय वर्ष में अभी तक एक भी बैठक नहीं हुई है, जिसके चलते विभिन्न योजनाओं की समीक्षा और उनके क्रियान्वयन पर प्रश्नचिह्न लग गया है। बैठक में देरी के कारणों का अभी तक पता नहीं चल पाया है।वर्ष 2023-24 के अंतिम तिमाही की बैठक जून 2024 में हुई थी। जिसमें 88 वें और 89 वें एसएलबीसी की संयुक्त रुप से बैठक हुई थी। इसमें वर्ष 2023-24 के दिसंबर और मार्च 2024 तिमाही के लक्ष्य और लक्ष्य प्राप्ति पर चर्चा की गयी थी। जिसकी अध्यक्षता उपमुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री सम्राट चौधरी ने की थी।विशेषज्ञों का कहना है कि समीक्षा किसी भी स्कीम को लक्ष्य तक पहुंचाने का एक जरूरी अव्यय होता है। एसएलबीसी की बैठक में राज्य सरकार बैंकों द्वारा दिये जा रहे ऋण की मोनेटरिंग करती है। बैठक नहीं होने से यह पता करना मुश्किल हो जाता है कि बैंक लक्ष्य के अनुरूप कार्य कर रहा है कि नहीं।