Bihar Land Survey:बिहार में 16 अगस्त से पुरखों की जमीन के कागज दुरुस्त कराने का मौका, जमीन को अपने नाम कराने का मिलेगा सुनहरा अवसर, शुरू होगा राजस्व महाअभियान, बस करना होगा ये छोटा सा काम
Bihar Land Survey: मौखिक बंटवारे की परंपरा को लिखित और कानूनी पहचान दी जाएगी। इसके ज़रिए सरकार न केवल रिकार्ड अपडेट करना चाहती है, बल्कि भविष्य के जमीन विवादों को भी जड़ से कम करने की तैयारी में है।

Bihar Land Survey:बिहार के गांव-गांव में अब जमीन की असलियत सामने लाने का सबसे बड़ा अभियान शुरू होने जा रहा है। भूमि सर्वेक्षण के दौरान मिले विवादों और अधूरी सूचनाओं ने राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की नींद उड़ा दी है कहीं जमीन का कुल एरिया दर्ज है पर प्लॉटवार चौहद्दी गायब, तो कहीं खाता-खेसरा की एंट्री में गड़बड़ी। सबसे बड़ी परेशानी लाखों एकड़ ऐसी जमीन, जो अब भी पुरखों के नाम पर दर्ज है, जबकि वर्तमान पीढ़ी मौखिक बंटवारे के सहारे उस पर काम कर रही है।
इसी राजस्व पहेली को सुलझाने के लिए 16 अगस्त से 20 सितंबर तक राजस्व महाअभियान चलेगा। अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह के मुताबिक, इस मुहिम से बंटवारे के झगड़े काफी हद तक खत्म होंगे और हर रिकार्ड अपडेट हो जाएगा। इस वक्त विभाग के पास 4.5 करोड़ जमाबंदी ऑनलाइन है, मगर उनमें भारी संख्या में अशुद्धियां हैं—कंप्यूटरीकरण के दौरान गलत एंट्री, प्लॉटवार डेटा की कमी और पुरानी जमाबंदियों में अधूरी जानकारी।
बिहार के 45,000 रिवेन्यू विलेज में एक-एक टीम बनाई जाएगी।टीम प्रिंटेड जमाबंदी लेकर घर-घर जाएगी, जिसके नीचे खाली जगह होगी ताकि लोग तुरंत सुधार दर्ज कर सकें।इसके बाद पंचायत स्तर पर ‘हल्का’ कैंप लगेगा एक पंचायत में दो बार, कम से कम 7 दिन के अंतराल पर।मौके पर ही आवेदन की प्राथमिक एंट्री होगी, ओटीपी से रजिस्ट्रेशन होगा, फिर अंचल कार्यालय में फाइनल एंट्री और निपटारा।
जहां जमीन पुरखों के नाम पर है, वहां वंशावली बनवाना ज़रूरी होगा इसके लिए सरपंच अधिकृत रहेंगे।
जिन पूर्वजों का मृत्यु प्रमाण पत्र बनाना मुश्किल है, वहां स्थानीय जनप्रतिनिधि का सत्यापन ही मान्य होगा।
बाढ़ग्रस्त 10 फीसदी पंचायतों में कैंप स्थिति सामान्य होने के बाद लगेगा, ताकि प्रभावित लोगों को परेशानी न हो।
पंचायत प्रतिनिधियों के साथ बैठकें, माइकिंग, मीडिया प्रचार और 15 अगस्त को ग्राम सभा में विशेष घोषणा।12 अगस्त तक माइक्रो प्लान तय, ताकि हर गांव को अपने कैंप की सही तारीख पता हो।
दरअसल, यह सिर्फ़ जमीन सुधार अभियान नहीं, बल्कि गांव-गांव में दस्तावेजी सत्ता का पुनर्गठन है जहां मौखिक बंटवारे की परंपरा को लिखित और कानूनी पहचान दी जाएगी। इसके ज़रिए सरकार न केवल रिकार्ड अपडेट करना चाहती है, बल्कि भविष्य के जमीन विवादों को भी जड़ से कम करने की तैयारी में है।