pahalgam terror attack: पहलगाम आतंकी हमले के विरोध में बिहार की राजधानी पटना में फूटा गुस्सा, पाकिस्तान के खिलाफ हुआ उग्र प्रदर्शन, लोगों ने फाड़े पाकिस्तानी झंडे

pahalgam terror attack: पहलगाम आतंकी हमले के बाद पटना के इनकम टैक्स चौराहे पर पाकिस्तान के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन हुआ।

PATNA pahalgam terror attack
PATNA pahalgam terror attack- फोटो : SOCIAL MEDIA

pahalgam terror attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए कायराना आतंकी हमले के बाद देशभर में पाकिस्तान के खिलाफ गुस्से की लहर देखने को मिल रही है। इसी कड़ी में सोमवार को पटना के इनकम टैक्स चौराहे पर हिन्दू शिव भवानी सेना ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने न सिर्फ पाकिस्तानी झंडे को फाड़ा, बल्कि पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल आशिफ मुनीर के पोस्टर को सार्वजनिक रूप से सिर कलम कर उग्र विरोध जताया।

प्रदर्शन में महिलाओं समेत बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए जिन्होंने एक स्वर में पाकिस्तान के खिलाफ कठोर कदम उठाने की मांग की। उन्होंने कहा कि जब तक पाकिस्तान को करारा जवाब नहीं मिलेगा, तब तक उनका विरोध प्रदर्शन चलता रहेगा। प्रदर्शनकारियों का मानना है कि पाकिस्तान अब आतंकवाद की फैक्ट्री बन चुका है और हिजबुल मुजाहिदीन, लश्कर-ए-तैयबा और टीआरएफ जैसे आतंकी संगठनों को खुला समर्थन दे रहा है। एक प्रदर्शनकारी लव सिंह ने कहा कि पाकिस्तान बार-बार गीदड़ भभकियाँ दे रहा है, लेकिन भारत की सेना ने हमेशा उसे करारा जवाब दिया है और फिर से ऐसा किया जाएगा।

प्रदर्शन में शामिल अंजनी कुमार राजू ने कहा कि पाकिस्तान में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमले केवल धार्मिक नहीं, बल्कि राज्य प्रायोजित आतंकवाद हैं। उन्होंने भारत सरकार से यह मांग की कि पाकिस्तान के खिलाफ अब केवल कूटनीतिक नहीं, बल्कि प्रत्यक्ष और निर्णायक कार्रवाई की जाए। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि केवल निंदा और कड़ी शब्दावली से कुछ नहीं होगा, पाकिस्तान को उसकी ही भाषा में जवाब देना होगा।

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इस पूरे विरोध प्रदर्शन के दौरान इलाके में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था भी देखी गई। कोतवाली थाना क्षेत्र के पुलिसकर्मियों को मौके पर तैनात किया गया ताकि शांति व्यवस्था बनी रहे और प्रदर्शन शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो सके। हालांकि, प्रदर्शनकारियों का गुस्सा और जोश इतना अधिक था कि उनका विरोध प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि प्रतीकात्मक विरोध से एक कदम आगे उग्र नारेबाजी और पुतला दहन तक जा पहुंचा।

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