पशुपति पारस का छलका दर्द: लोजपा के स्थापना दिवस पर बड़े भाई को किया याद, बोले- '2009 में भी शून्य पर थे, फिर खड़े होंगे'
Patna - राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) के 25वें स्थापना दिवस के मौके पर पार्टी अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस काफी भावुक नजर आए। अपने बड़े भाई और लोजपा संस्थापक स्वर्गीय रामविलास पासवान को याद करते हुए उनकी आंखें नम हो गईं। उन्होंने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि चुनावी हार से निराश होने की जरूरत नहीं है, पार्टी संघर्ष के रास्ते पर चलकर फिर से अपना मुकाम हासिल करेगी।
'तीनों भाइयों में आज मैं अकेला बचा हूं'
पशुपति पारस ने भावुक होते हुए कहा, "आज पार्टी का 25वां स्थापना दिवस है। जब पार्टी की स्थापना हुई थी, तब हम तीनों भाई (रामविलास पासवान, रामचंद्र पासवान और पशुपति पारस) मौजूद थे। आज मेरा दुर्भाग्य है कि हमारे बीच बड़े भाई रामविलास पासवान जी और छोटे भाई रामचंद्र पासवान जी नहीं हैं।"
उन्होंने याद दिलाया कि पार्टी की स्थापना दलितों, शोषितों, पिछड़ों और अकलियतों के हक की लड़ाई लड़ने के लिए की गई थी। दलित सेना का गठन भी समाज के निरीह लोगों को अत्याचार से बचाने के लिए हुआ था।
चुनावी नतीजों पर सवाल, लेकिन जनादेश स्वीकार
हालिया चुनाव परिणामों पर बोलते हुए पारस ने कहा कि चुनावी रणनीति एक अलग विषय है, लेकिन इस बार का चुनाव परिणाम जिन परिस्थितियों में आया है, वह विचारणीय है। उन्होंने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा, "एक-एक जगह पर 1 लाख 22 हजार 800 के करीब वोट 10-10 उम्मीदवारों को मिले हैं, जिससे साबित होता है कि कहीं न कहीं कुछ अलग हुआ है।" हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि जनता का जो भी जनादेश (Mandate) है, वे उसे स्वीकार करते हैं।
महागठबंधन की स्थिति हमसे भी खराब
पारस ने विरोधियों पर निशाना साधते हुए कहा कि आज बिहार में सिर्फ उनकी पार्टी की स्थिति खराब नहीं है, बल्कि महागठबंधन के दलों की हालत तो उनसे भी ज्यादा खराब है। उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि राजनीति में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं, इसलिए निराश होने की कोई बात नहीं है।
2009 का दिया उदाहरण: 'शून्य से शिखर का सफर तय करेंगे'
कार्यकर्ताओं में जोश भरते हुए पशुपति पारस ने 2009 के दौर का जिक्र किया। उन्होंने कहा, "पार्टी का सबसे बुरा दिन 2009 में था, जब हम तीनों भाई लोकसभा और विधानसभा चुनाव हार गए थे। लेकिन हमने हिम्मत नहीं हारी, मेहनत की और पार्टी को फिर से खड़ा किया।" उन्होंने ऐलान किया कि पार्टी अब गांव-गांव जाएगी, संघर्ष करेगी और आने वाले लोकसभा या विधानसभा चुनावों में मुस्तैदी से सामना कर फिर से सफलता प्राप्त करेगी।