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16 साल तक किसी सरकारी विभाग को नहीं लगने दी भनक! धीरे-धीरे कर 100 करोड़ मूल्य के 3 बीघा जमीन किया अपने नाम, पढ़ें चौंकाने वाली खबर

पटना में 100 करोड़ की सरकारी जमीन हड़पने का बड़ा मामला सामने आया। सीवान की शांति देवी ने पटना सिटी कोर्ट से जमीन अपने नाम डिक्री करवा ली। जानें पूरी खबर।

 16 साल तक किसी सरकारी विभाग को नहीं लगने दी भनक! धीरे-धीरे कर 100 करोड़ मूल्य के 3 बीघा जमीन किया अपने नाम, पढ़ें चौंकाने वाली खबर
पटना जमीन घोटाला- फोटो : social media

Patna 100 crore government land grab: पटना में करीब 100 करोड़ रुपये की सरकारी जमीन हड़पने का बड़ा मामला सामने आया है। सीवान की शांति देवी नाम की महिला ने पटना के बहादुरपुर और गुलजारबाग में बिहार राज्य आवास बोर्ड की करीब 3 बीघा जमीन पर दावा ठोका और पटना सिटी कोर्ट से अपने नाम डिक्री (हुक्मनामा) करवा ली। चौंकाने वाली बात यह है कि 16 साल तक किसी सरकारी विभाग को इसकी भनक तक नहीं लगी।

क्या है मामला?

सीवान निवासी शांति देवी ने 2005-2006 में पटना सिटी कोर्ट में टाइटल सूट दायर कर बहादुरपुर और गुलजारबाग की जमीन पर दावा किया। उन्होंने कहा कि यह जमीन उनके दादा ने खरीदी थी, जो अब उन्हें गिफ्ट में मिल गई है। पटना सिटी कोर्ट ने शांति देवी के पक्ष में फैसला सुना दिया, जबकि सरकारी विभाग को इस पर कोई जानकारी नहीं थी।

विभाग को भनक क्यों नहीं लगी?

जांच में पता चला कि शांति देवी ने दो अलग-अलग जमीनों के लिए टाइटल सूट दायर किया था। सरकारी विभागों के नाम में गलत जानकारी देकर और अदालत में फर्जी वकीलों के जरिए केस लड़ा गया। किसी सरकारी विभाग को यह जानकारी तक नहीं थी कि उनकी जमीन पर दावा किया जा रहा है।

गलत नामों का इस्तेमाल

गुलजारबाग की जमीन के लिए शांति देवी ने कई सरकारी नामों का दुरुपयोग किया, जैसे "चित्तार सरकार मार्फत समाहर्ता" और "राष्ट्रीय उच्च पथ प्राधिकरण"। इन नामों का गलत इस्तेमाल कर सरकारी अधिकारियों को भ्रमित किया गया।

पटना सिटी कोर्ट का फैसला

पटना सिटी कोर्ट की तत्कालीन जज प्रीति वर्मा ने 2012 में शांति देवी के पक्ष में फैसला सुनाया। यह वही जज हैं, जिन्हें बाद में पटना हाईकोर्ट ने अनुशासनिक कार्रवाई करते हुए निलंबित किया था।

आवास बोर्ड की अपील

जब यह मामला सामने आया, तो 2022 में बिहार आवास बोर्ड ने पटना सिटी कोर्ट में अपील की। आवास बोर्ड के वकील ने बताया कि उन्हें इस केस और फैसले की जानकारी नहीं थी। फिलहाल, मामला उच्च न्यायालय में लंबित है और आगे की जांच जारी है।

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