केंद्र से मिलनेवाले फंड पर टिकी है बिहार की अर्थव्यवस्था, तेजस्वी ने आंकड़ों के साथ खोली नीतीश सरकार के 20 साल के शासन की पोल

Bihar politics - नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने बिहार की अर्थव्यवस्था पर सवाल पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह पूरी तरह से केंद्र से मिलने फंड पर निर्मर है, क्योंकि इसमें बिहार का अपना राजस्व बेहद कम है। उन्होंने नीतीश कुमार पर आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था नही

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Patna - बिहार के बजट पर तेजस्वी ने 1947 का जिक्र करते हुए कहा कि उस समय साक्षरत दर 12 परसेंट, भारत का बजट 197 करोड़ था। जबकि 1952-53 बिहार का बजट 30 करोड़ था। 1990 में लालू जी समय बने तो उस समय बिहार का बजट 3000 करोड़ था। 2005-06 में जब उन्होंने नीतीश कुमार का सत्ता सौंपी तो उस समय बिहार का बजट 28 हजार करोड़ था। यानि लगभग साढ़े 9 गुना बजट राजद शासन बढ़ा। जबकि उसके बाद के शासन काल में 28 हजार करोड़ को अब 20 साल में 2.78 करोड़ रुपए पहुंचाया गया। यानि जो बढ़ोतरी हुई वह साढ़े नौ गुना बजट बढ़ा। तो किस बात का पीठ थपथपा रहे है। यह तो बढ़ता ही रहेगा। इसमें आप कौन सा तीर मार लिया।

इस साल चुनावी साल होने का कारण एक साल में 39 हजार करोड़ का बजट बढ़ा दिया गया। मैं जानना चाहता हूं कि  एक साल में इतना रेवन्यू कहां से आया कि यह बजट बनाया गया है। क्या बिहार कर्ज में है। क्या 39 हजार करोड़ राजस्व बढ़ा तो उसका श्रोत बताएं। अगर बजट बढ़ा है तो शिक्षकों, प्रोफ्रेसरों कर्मियों को देने के लिए सरकार के पैसा क्यों नहीं है।

60 परसेंट बजट का पैसा खर्च नहीं

तेजस्वी ने कहा कि विगत वर्ष में 60 परसेंट बजट का पैसा खर्च नहीं कर पाए। 20 साल के शासन के बावजूद बिहार आज भी केंद्र से मिलने वाले फंड पर निर्भर है। बिहार का अपना राजस्व सिर्फ 27 परसेंट है। जबकि गुजरात का 73 परसेंट, तमिलनाडू का 76 परसेंट और पड़ोसी राज्य यूपी का अपना राज्सव 46 परसेंट है। यह आंकड़े बताते हैं कि बिहार की अर्थव्यवस्था आत्मनिर्भर क्यों नहीं हो पाई है।

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