'प्रेमी से शादी न होने का मतलब रेप नहीं', पोक्सो एक्ट में उम्रकैद की सजा काट रहे युवक को पटना हाईकोर्ट ने किया बरी
पटना हाईकोर्ट ने पोक्सो एक्ट के तहत उम्रकैद की सजा काट रहे पवन कुमार मंडल को बरी कर दिया है। कोर्ट ने कहा- पुलिस पीड़िता की उम्र 18 से कम साबित करने में फेल रही। साथ ही टिप्पणी की कि सहमति से बने संबंधों में शादी न होने पर उसे रेप नहीं माना जा सकता।
Patna - पटना हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में स्पष्ट किया है कि दो प्रेमियों के बीच सहमति से बने शारीरिक संबंधों को रेप (Rape) नहीं कहा जा सकता, भले ही बाद में शादी न हो पाई हो। कोर्ट ने पोक्सो एक्ट के तहत उम्रकैद की सजा काट रहे पवन कुमार मंडल को बड़ी राहत देते हुए ट्रायल कोर्ट की सजा को रद्द कर दिया और उनकी तत्काल रिहाई का आदेश दिया।
पुलिस की जांच पर कोर्ट ने उठाए गंभीर सवाल
जस्टिस विवेक चौधुरी और जस्टिस डॉ. अंशुमान की खंडपीठ ने पुलिस और अभियोजन पक्ष (Prosecution) की जांच प्रक्रिया पर कड़ी टिप्पणी की। कोर्ट ने पाया कि पुलिस ने पीड़िता की उम्र साबित करने के लिए कोई ठोस दस्तावेज पेश नहीं किया। जांच अधिकारियों ने न तो स्कूल का रिकॉर्ड चेक किया और न ही मैट्रिक का सर्टिफिकेट कोर्ट में पेश किया।
मेडिकल टेस्ट पर सवाल
कोर्ट ने कहा कि केवल मेडिकल टेस्ट (Ossification Test) के आधार पर किसी को नाबालिग मान लेना सुरक्षित नहीं है, क्योंकि इसमें हमेशा एक-दो साल की त्रुटि (Error) की संभावना रहती है।
"सहमति से बने संबंध अपराध नहीं"
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि अभियुक्त पवन कुमार मंडल और पीड़िता के बीच लंबे समय से प्रेम संबंध थे। मेडिकल रिपोर्ट में भी जबरदस्ती या हिंसा के कोई ताजा सबूत नहीं मिले थे। हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि अगर दो बालिगों के बीच सहमति से संबंध बने हों, तो रिश्ता टूटने या शादी न होने पर उसे आपराधिक श्रेणी में नहीं रखा जा सकता।
भागलपुर कोर्ट का फैसला रद्द
अभियोजन पक्ष यह साबित करने में पूरी तरह विफल रहा कि घटना के वक्त पीड़िता नाबालिग थी और उसके साथ जोर-जबरदस्ती हुई थी। संदेह का लाभ (Benefit of Doubt) देते हुए हाई कोर्ट ने भागलपुर ट्रायल कोर्ट द्वारा 2019 में सुनाई गई उम्रकैद की सजा और दोषसिद्धि को रद्द कर दिया।