12 साल बाद मिला इंसाफ: पटना हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, यूनिवर्सिटी को देना होगा पिछले 12 सालों का वेतन; हटाने को बताया गैरकानूनी

पटना हाईकोर्ट ने वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय (VKSU) के एक चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने विश्वविद्यालय द्वारा 12 साल पहले कर्मचारी को हटाने के फैसले को 'गैरकानूनी' और 'भेदभावपूर्ण' करार दिया है।

12 साल बाद मिला इंसाफ: पटना हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, यूनिवर्स

Patna -  पटना हाईकोर्ट ने 12 साल पूर्व वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के एक चतुर्थ वर्गीय कर्मी को गैर कानूनी तरीके से हटाए जाने के मामले में एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है। जस्टिस अनिल कुमार सिन्हा की एकलपीठ ने याचिकाकर्ता अटल बिहारी सिंह की रिट याचिका को मंजूर करते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अटल की नियुक्ति को रद्द करने की विश्वविद्यालय की कार्रवाई पूरी तरह से भेदभावपूर्ण थी। 

नियमित करने के 2 महीने बाद ही निकाल दिया था

मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि 1 जून, 2013 को विश्वविद्यालय प्रशासन ने अपने बाकी सभी दैनिक वेतन भोगियों की तरह ही अटल बिहारी सिंह की सेवा को भी नियमित किया था। लेकिन, नियमितीकरण के महज दो महीने बाद ही 31 जुलाई, 2015 को अचानक उनकी नियुक्ति रद्द कर दी गई। कोर्ट ने पाया कि जिन कारणों से अटल की सेवा समाप्त की गई थी, वे सभी कारण दूसरे कर्मियों पर भी लागू होते थे, लेकिन उन्हें नहीं हटाया गया। प्रशासन का यह रवैया एक समान कर्मियों के बीच भेदभाव को दर्शाता है। 

कुलपति ने भी नहीं सुनी थी फरियाद


नौकरी जाने के बाद अटल ने हार नहीं मानी थी। उन्होंने अपनी नियुक्ति रद्द किए जाने के खिलाफ विश्वविद्यालय के कुलपति (VC) को भी प्रतिवेदन दिया था, लेकिन सितंबर 2015 में कुलपति ने उसे खारिज कर दिया। इसके बाद उन्होंने न्याय के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। 

दो महीने में करना होगा भुगतान

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में अटल बिहारी सिंह को उनकी नियुक्ति की तारीख से ही 'सेवारत' (Deemed to be in service) करार दिया है। साथ ही, कोर्ट ने विश्वविद्यालय प्रशासन को आदेश दिया है कि अटल को उनके पिछले 12 सालों के वेतन की आधी राशि (50% Back Wages) का भुगतान अगले दो महीने के भीतर कर दिया जाए।